तुम्हें जो देखा तो पलको तले
लाखो दिये से देखो जलने लगे ....
तुम हो मेरी धड़कन ,
फिर जिस्म में क्यों नही धडकती हो ......
तुम हो मेरी सांस ,
फिर क्यों इस तरह उखड़ती हो ?……
तू जो नही तो केसी खुशी ?
मायूसी मे डूबी है ज़िंदगी ......
मुझे तुम बिन हर पल छिन
डँसता है सूनापन ........
तुम्हें छूने की इजाजत भी मुझे नहीं
फिर मेरी बातो से क्यों मचलती हो …
तेरे दिल में , जलता है दीपक मेरे प्रेम का
फिर यह उजाला किस काम का …
तुम बहाती आसूं मेरी याद में
फिर भी इकरार करने से क्यों डरती हो ……
मैं अक्स हूँ मेरी हक़ीक़त तुम हो,
मैं साया हूँ मेरी सूरत तुम हो …!!!
मैं लब हूँ मेरी बात तुम हो ,
मैं तब हु मुकमल जब मेरे साथ तुम हो ..!!
तुम हो मेरी सुबह , तुम हो मेरी शाम
फिर सूरज का उजाला मिटाती हो ......
तुम हो मेरी साकी , तुम हो मेरा जाम
फिर मेरे बहकने पर , क्यों बिगडती हो …….
तुम हो मेरी गजल , तुम हो मेरी शायरी
फिर मुझे अपनी , चिलमन से क्यों जुदा करती हो …….
तुम हो मेरी मंजिल , तुम हो मेरी हमसफर
फिर राह मे क्यू कांटे बोती हो ........ .
तुम हो मेरी आरजू , तुम हो मेरी जुस्तजू
फिर अरमान क्यों नही पूरे करती हो ….
उत्तम जैन ( विद्रोही )
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