Monday 26 November 2018

हम उन प्रत्याशी का समर्थन करते है जो धर्म संस्कृति के पक्षधर है - अक्षय जैन


इंदौर। विधानसभा चुनाव के इस महासंग्राम में पहली बार जैन समाज अपनी वोट बैंक राजनीतिक दलो को एहसास करवाने में लगा है। मध्य प्रदेश राजस्थान और छग में करीब साढ़े आठ लाख मतदाता जैन है। इसी संख्या बल को रेखांकित कर इस चुनाव में जैन सिद्धांत समर्थन करने वाले प्रत्याक्षियो के पक्ष में मतदान की अपील सोशल मिडिया और समाज के प्लेटफार्म पर आंतरिक बैठक लेकर की जा रही है। जानकर सूत्रो की माने तो करीब चालीस जैन सन्त समुदाय के दिशा निर्देशो पर जगह जगह उम्मीदवार के साथ जैन सिद्धातों के पक्ष रखने वाले प्रत्याशी का समर्थन की रणनीति बनाई गई ।
जैन धर्म अनुयायियों के बीच अब यह धारणा घर कर गई है कि भारतीय राजनीती में जातिगत समीकरण आधारित नफे नुक्सान की हो चली हे ऐसे में हमे अपने अस्तित्व पर फोकस करना नितांत जरूरी हो गया। पहले जैन समाज पार्टी विचारधारा आधारित मतदान करते आ रहा था लेकिन इस बार समाज हित पहलू पर मतदान करेगा।
जैन समाज ने पिछले दिनों राजनितिक उपेक्षा अपने सबसे बड़े तीर्थ सम्मेद शिखर मह तीर्थ झारखण्ड सरकार के पर्यटन के नाम पर अपवित्र करने की साजिश के मुद्दे पर भोगी हालाँकि अब झारखण्ड सरकार ने फैसला वापस ले लिया। लेकिन राजनीतिक दलो की खामोशी और असहयोग की पीड़ा ने जैन धर्मालम्बियो को लामबंद होने का रास्ता दिखा दिया । जैन साधू-साध्वियो के विहार में होने वाली घटनाओ पर सरकारो की बेरुखी भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। जैन समाज अहिंसक समाज होकर सहिष्णुतावादी हे लेकिन अब वह अपनी समाजिक शक्ति को राजनीतिक निर्णयो पर निर्णायक बनाने का लक्ष्य लेकर तिन राज्यो के चुनाव परिणाम में अपना प्रभाव दिखाना चाह रहा है इस कार्य के लिए अखिल भारतीय जैन एकता परिषद अगुवाई कर रही है । अकेले मध्य प्रदेश में जैन समाज के साढ़े चार लाख मतदाता है। जी विधानसभा क्षेत्रो में जैन प्रत्याशी को टिकट मिला वहा जैन समाज उसके लिए पूरी ताकत से लगा । जहा प्रत्याशी खुले तौर पर जैन सिद्धान्तों का पक्षधर होकर अहिंसावादी पथगामी हे उसके पक्ष में मतदान करवाने की पहल कर रहा है। जैन समाज व्यापारिक होकर आम जन जीवन में।गहरी पकड़ रखता है जिसके चलते इस बार जैन समाज को दोनों राजनितिक दल महत्व दे रहे है। बड़नगर में विराजित जैन आचार्य श्री रत्न सुंदर जी के यहाँ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह , शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस के श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चलते चुनाव में पहुंचे। मोहनखेड़ा जैन तीर्थ में विराजित आचार्य ऋषभ चन्द्र विजय जी के यहाँ संघ प्रमुख मोहन भागवत से लगाकर सभी दलो के नेता हो आये हे।
हमारा एक वोट जैन धर्म सम्मान करने वाले के पक्ष में ..... यह अभियान किसी दल विशेष राजनीतिक विचारधारा के लिए नही ..... अखिल भारतीय जैन एकता परिषद का मानना है कि भारतीय राजनीति का प्रतिनिधित्वता में जैन बन्धुओ का स्थान सुनिश्चित हो .... जैन तीर्थ साधु - साध्वियों के सम्मान की को ठेस पहुंचाने की प्रवर्तीर्यो पर अंकुश लगे .....।
इस बारे में अखिल भारतीय जैन एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अक्षय जैन ने बताया कि मौजूदा परिस्थितियों में हमे सामाजिक तौर पर सुरक्षा ग्यारंटी की आवशयक्ता महसूस हो रही है। हमारा समाज कभी किसी दल के बन्धन में नहीं चला । हम राष्ट्र हित में अपनी सोच शामिल रखते है । हमारा राजनीति में सीधा हस्तक्षेप का कभी इरादा नही रहा लेकिन वर्तमान में कुछ परिस्थितयो को देख इस बार हमारे समाज को लगता है कि जैन धर्म सम्मान को सर्वापरि मानने वालो के पक्ष में हम मतदान करे। इस दिशा में हमारे लोग मध्य प्रदेश और राजस्थान छग में जैन समाज बाहुल्य वाले क्षेत्रो में ज्यादा प्रभावी मतदान करवाने की मुहीम चला रहे है।

Wednesday 7 November 2018

नूतन वर्ष अभिनंदन - उत्तम जैन ( विद्रोही )

                                              उत्तम जैन( विद्रोही) का नमस्कार…जय जिनेन्द्र
जाने वाले को विदा और आने वाले का स्वागत करना यही हमारी भारतीय संस्कृति है. हर साल की तरह दीपावली के बाद अगले दिन हम नूतन वर्ष अपने साथ कडकडाती हुई ठण्ड और नए साल की आहट लेकर आता है. हम ठहरे उत्सवधर्मी. प्रत्येक क्षण, प्रत्येक दिन आनंद और उत्साह से बिताया जाये यही सिखाया है ! नया वर्ष, नयी दिशा, नयी सोच, नयी कामना, नयी आस, नयी भावना के साथ स्वागत कीजिये नए साल का आप सभी को नूतन वर्ष की विशेष शुभकामनाएं…….
नया साल मुबारक सबको
पूरी हो सबकी अभिलाषाये
जो रह गयी है आशाये अधूरी
वो नव वर्ष में पूरी हो जाये
नये साल की शुभकामनाये ….!
बिछ्डों को अपने मिल जाये
टूटे दिल फिर से जुड जाये
आने वाला साल अपने संग
हर रात दीवाली सी लाये
नये साल की शुभकामनाये ….!
रहे हर देश में खुशहाली
हाथ रहे ना कोई खाली
धरा भी हो जाये हरियाली
ऐसी इक क्रान्ति ले आये
नये साल की शुभकामनाये ….!
वेद-काल से आज तक भारत में जो उत्सवों की परम्परा रही है, वे समयानुकूल परिवर्तन वाले उत्सव रहे हैं. भारत की उत्सव परम्परा, प्रकृति-प्रेम को बलवान बनाने वाली, बालक से लेकर के हर व्यक्ति को संस्कारित करने वाली रही हैं
अब नया साल के लिए विशेष – नई सफलता की रणनीति तय करने का जिससे की आप सभी मुश्किलों को दूर कर के सफलता को प्राप्त कर सकते हैं । इस साल के प्रथम दिन में ही हमे व आपको अपने नए साल के संकल्पों को लेना जरूरी है आपको अपने लक्ष्य पर अपना फोकस बनाये रखना पड़ेगा और पिछले साल की गलतियों को बारीकियों से तुलना करते हुए इस वर्ष अपने सोच में नहीं लाना है
अपने नया साल नई सफलता की रणनीति तय करने के लिए नए प्रस्ताव या संकल्प करना बहुत जरूरी हैं । लेकिन संकल्प लेने से पहले लोग खासकर दो गलतियाँ कर जाते हैं ।
1…लोग सोचते हैं उन्हें करना क्या चाहिए ! जबकि उनसे सोचना चाहिए की उनकी पसंद क्या है और क्या सच मैं उस कार्य को करना चाहिए ।
2 .दूसरी बड़ी गलती वह सोचते हैं क्या-क्या उन्हें नहीं करना चाहिए ! पर उन्हें सोचना चाहिए जो गलतिया पिछले साल की उन्हे फिर से नही करनी है
आपको अपने लक्ष्य को पाने के लिए अपने आप से अटल वादा करना पड़ेगा, तभी आप हमेशा अपने संकल्पों को सफल बनाने के लिए प्रेरित रहेंगे पक्का कर लें कि चाहे रास्ते में जितनी बड़ी मुश्किल आए या छोटी-मोटी असफलता आए आपको रुकेंगे नहीं चाहे बार-बार आपको कोशिश करना पड़े नया साल के लिए नई सफलता की रणनीति तय करने के लिए सबसे अच्छा समय है क्योंकि इस शुरुवाती समय में हर जगह एक ख़ुशी भरा समारोह है और हर किसी के मन में प्रेरित विचार होते । यह एक ऐसा समय है जब हर कोई व्यक्ति एक दुसरे से मदद और समर्थन देने के लिए तैयार रहते हैं ।
लेखक– उत्तम जैन ( विद्रोही)
प्रधान संपादक – विद्रोही आवाज़