Monday 13 November 2017

किसी ने सच ही कहा है- बच्चे भगवान का रूप होते है - उत्तम जैन ( विद्रोही )

किसी ने सच ही कहा हैबच्चे भगवान का रूप होते  है 
उनके मन में मैल या कपट नहीं होता है। वे सभी से निश्छल प्रेम करते हैं और बड़ों के दिए गए संस्कारों का पालन करते हैं। अपनी इसी निर्दोष वृति के कारण बच्चे लगभग सभी का मन मोह लेते हैं। और इन्ही प्यारे बच्चों को समर्पित होता है –
पंडित जवाहरलाल नेहरु के यह कथनी ---- 
“मैं हैरत में पड़ जाता हूँ जब देखता हूँ कि लोग किसी राष्ट्र का भविष्य जानने के लिए वहाँ के शहरों को देखते हैं, लेकिन जब मुझें हिंदुस्तान का भविष्य देखने की इच्छा होती है तो मैं केवल बच्चों की आँखों और उनके चेहरों को देखने की कोशिश करता हूँ क्योंकि वही मुझे आने वाले हिंदुस्तान की तस्वीर नजर आती है |” 

भारत में 14 नवंबर को भारत के पहले प्रधानमंत्री के जन्मदिन को बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरु के जन्मदिन को बाल दिवस के रुप में इसलिए चुना गया क्योंकि नेहरु जी का बच्चों के प्रति विशेष स्नेह था। नेहरु जी बच्चों को देश के भविष्य की तरह देखते थे। नेहरु जी अपना अधिकतम समय बच्चों के साथ बिताना पसंद करते थे, वो हमेशा बच्चों के प्रति अपना लगाव जाहिर करते थे और चाहते थे देश को कामयाबी की राह तक देश के ये बच्चे ही पहुंचाए और इस देश को विकसित बनाए।
भारत के आजाद होने के बाद 500 देसी रियासतों को एक झंडे के नीचे लाने से लेकर देश के युवाओं के लिए रोजगार आदि जैसे कार्य कर आधुनिक भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। योजना आयोग का गठन करने के बाद पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया, जिससे भारत में उद्योग का एक नया युग शुरु हुआ। नेहरु ने भारत की विदेश नीति में भी प्रमुख भूमिका निभाई। आज भारत के बच्चे हर क्षेत्र में अपने देश का नाम रौशन कर रहे हैं और दुनिया के सामने उदाहरण रख रहे हैं कि कला, विज्ञान, अध्यात्म किसी भी क्षेत्र में भारत किसी से भी कम नहीं है। भारत देश के बच्चों के लिए इसी तरह का सपना चाचा नेहरु ने देखा था।
पंडित जवाहरलाल नेहरु ने इस देश को विकसित देश बनाने के लिए बाल शिक्षा, कल्याण, अधिकारों और सम्पूर्ण सुधार का सपना देखा था और उसे पूर्ण करने के लिए हमेशा उत्साहित रहते थे और अपने काम को गर्मजोशी से करना पसंद करते थे। नेहरु जी बहुत ही प्रेरणादायक और प्रेरित प्रकृति के थे। वह हमेशा बच्चों को कठिन परिश्रम और बहादुरी के कार्य करने के लिए प्ररित करते थे। बच्चों को उनके बचपन के अधिकार प्राप्त हो सकें इसके लिए उन्होनें बच्चों के स्वास्थ के लिए परिश्रम किया। बच्चों से स्वार्थहित प्रेम के कारण उन्हें चाचा नेहरु का नाम दिया गया।
1964 में उनकी मृत्यु के बाद उनके जन्मदिन को पूरे भारत में बाल दिवस 14 नवंबर को मनाया जाने लगा। हमेशा बिना किसी व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय, पारिवारिक और वित्तीय जिम्मेदारी के बचपन और बच्चों के समर्थक रहे। उनका मानना था कि बचपन जीवन का सबसे अच्छा समय होता है ये हमेशा खुशियों और स्वास्थय से भरा होना चाहिए जिससे वो हमेशा अपने देश का नेतृत्व करने के लिए तैयार रहें और देश का नाम हमेशा ऊंचा करें और इसे एक विकसित देश बनाएं।
बचपन के दिन भुला ना देना
आज हंसे कल रुला ना देना
इचक दाना -पिचक दाना, दाने उपर दाना
कितना प्यारा था बचपन मस्ताना
चले आओ कभी टूटी हुई चूड़ी के टुकड़े से,
वो बचपन की तरह फिर से मोहब्बत नाप लेते हैं... बाल दिवस की बधाई
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही ) 

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