Saturday 5 August 2017

मित्रता दिवस-----

हर कर्ज दोस्ती का अदा कौन करेगा....
जब हम ही न रहे तो दोस्ती कौन करेगा।
ऐ खुदा मेरे दोस्त को सलामत रखना....
वरना मेरे जीने की दुआ कौन करेगा।
ऐ बारिश जरा थम के बरस...
जब मेरा यार आए तो जम के बरस।
पहले न बरस कि वो आ न सके...
फिर इतना बरस कि वो जा न सके।.......
कुछ सालों बाद न जाने क्‍या समां होगा
न जाने कौन दोस्त कहां होगा
फिर मिलना हुआ तो मिलेगें यादों में
जैसे सूखे गुलाब मिलते हैं किताबों में।
जीवन मे एक मित्र ही होता है ........
बचपन के मित्र न जाने कहा खो गए .... यदा कदा मिलते भी तो पहचानना दुर्लभ हो जाता है .... कोई ज्यादा मोटे हो गए तो कोई उझड़े चमन सर से बाल ही गायब ... अपनी अपनी ज़िंदगी मे मस्त हो गए है नए मित्रो के रूप मे फेसबूक , व्हट्स अप से जुड़े मित्रो ने ले लिया है मगर निसंदेह मित्रो की सूची बहुत बढ़ गयी अब सच्चे कितने है हितेषी कितने गणना करना बहुत मुश्किल है खेर .... मुख्य विषय पर ले चलता हु मित्रता दिवस मेरे लिए कोई खास मायना नही रखता की उन्हे शुभकामना दु क्यू की मित्र तो सदेव मेरे दिल मे बसे हुए है ......
मित्रता , संवेदना , संवाद है।
मित्रता, उत्सर्ग का उन्माद है।
स्नेह का, विश्वास का ऐश्वर्य है;
आत्मा का रम्य रस - आस्वाद है।।
“दोस्त-सखी दिवस” है। आप सोचेंगे कि पहले से मौजूद इतने सारे “दिवसों” के बीच ये कैसा नया दिवस आ गया जिसका नाम ही कभी नहीं सुना! आपने इसका नाम कभी नहीं सुना क्योंकि “दोस्त-सखी दिवस” को विश्व में केवल दो व्यक्ति ही मनाते हैं और यह बना भी केवल उन्हीं दो व्यक्तियों के लिए है: “दोस्त” यानी मैं… और “सखी”या सखा .... यानी (फेसबूक से जुड़े) मैं अब से दस वर्ष पहले फेसबूक के एक चैटरूम में मिला था। इंटरनेट मेरे लिए उस समय एक नई चीज़ थी। जीवन में अनुभव कम था -सो मन में नए दोस्त बनाने की इच्छा भी प्रबल थी। नतीजतन, चैटरूम्स में आना-जाना लगा रहता था। मैंने इन चैटरूम्स का प्रयोग शायद तब से कर रहा हु और सैंकड़ो नए लोगों से बातचीत की लेकिन उन सब में से मुझे केवल दो व्यक्ति ऐसे मिले जो मेरी तरह ताउम्र मित्रता निबाहने में विश्वास रखते थे। इनमें से एक...... थी। कुछ सखियो से मन इतना गहराई से जुड़ गया एक पवित्र रिश्ते के साथ आज भी हमारी मित्रता गहराई से जुड़ी है ! कुछ सखियो से आत्मीयता से रिश्ता जुड़ा ओर बड़े भाई जेसा मानने लगी .... संजोग ही कहूँगा आज मित्रता दिवस है कल रक्षाबंधन आज मुझे अपना भाई समझ मुझे रक्षा सूत्र भेजती है ! अब इन सभी बहनो का जिक्र करना मे उचित नही समझता ! कुछ मित्र मुझे बड़ा भाई जेसे सन्मान भी देते है ! तो कुछ मित्र छोटा भाई समझकर सदेव प्यार देते है ! आज बड़ा गर्व होता है मेरी मित्रता सूची की असंख्य संख्या है ओर यही मेरी जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है ! मित्रता मेरे जीवन की उपलब्धियों में से एक है। उनके लिए मेरे मन में जो आदर, प्रेम व शुभकामनाएँ हैं सदेव बनी रहे ! आज सभी मित्रो को अनंत शुभकामना
उत्तम जैन ( विद्रोही )  

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