जिंदगी में जहर भाग 1 अंक 2
कोमल ने शांति की सखी होने का फ़र्ज़ निभाते हुए हर सही बात में साथ मे साथ देने का आस्वाशन दिया । उधर शांति अपनी जिद्दी प्रवृति पर अड़ी थी । न संतोष को समझने की कोशिश करती न अपने भविष्य को देख रही थी शांति ने कभी अपने अहम को नजर अंदाज करने का नही सोचा संतोष यही चाहता था येनकेन प्रकारेण शांति न अपने जीवन को बर्बाद करे ओर संतोष चाहता था कि शांति सदा मेरे साथ रहे । उधर संतोष अपने माँ व पिता और बच्चो के प्रेम में इतना उलझ गया कि बहुत बार शांति की खुशियों को नजर अंदाज कर देता संतोष यह जानते हुए भी की में शांति को हर वह खुशी नही दे पा रहा जो शांति सदा उससे अपेक्षा करती थी ।।शांति कुछ हद तक सही भी थी क्यों कि शांति की अपने पति से कुछ तो अपेक्षा थी उसका पति संतोष उसकी हर तकलीफ सुने मगर संतोष ठहरा की शांति को चाहते हुए भी हर बात का समर्थन नही करता क्यों कि संतोष भी एक मजधार में उलझा हुआ था एक तरफ पत्नी शांति की खुशिया ओर दूसरी तरफ बुजुर्ग माँ व बाप न उसे माँ बाप समझते न शांति बिचारे संतोष की हालत तो यह हो गयी दोनो तरफ से पिसता जा रहा था । जबकि संतोष को शांति भी बहुत प्यार करती और संतोष के माता पिता भी बहुत प्यार करते थे । मगर दोनो पलडो की ना समझी ने संतोष की जिंदगी में जहर गोल दिया ।मरता क्या न करता बिचारा संतोष कभी शांति को समझाता तो कभी अपने माँ पापा को मगर कोई समझने को तैयार नही क्यों कि एक तरफ शांति पढ़ी लिखी होने के बाद जिद्दी थी और दूसरी तरफ संतोष के माता पिता पुराने विचारो के होने के कारण समझने को तैयार नही थे ।
......जिंदगी में जहर भाग 1 अंक 2
अगला अंक 3 ओर 4 का इंतजार करे प्रेषित कल 22 अगस्त को
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही )
Monday, 21 August 2017
जिंदगी में जहर भाग 1 अंक 2
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