सफल विवाहित जीवन के लिए पति-पत्नी दोनों में कुछ विशेषताएं होनी चाहिए। परिवार समाज की एक अत्यन्त महत्वपूर्ण इकाई है। हमारे देश में परिवार का आधार विवाह है। विवाह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो अपरिचित स्त्री-पुरुष सामाजिक विधानों के अनुसार संबंध स्थापित करते हैं तथा उनका शारीरिक एवं भावनात्मक मिलन होता है। पारिवारिक समायोजन न होने की स्थिति में भी द्वंद्व बना रहता है। विवाह के पश्चात स्त्री और पुरुष दोनों को ही नवीन भूमिकाओं से स्वयं को समायोजित करना होता है। पारिवारिक समायोजन में स्त्री जो वधू के रूप में ससुराल जाती है, विवाह के बाद उसका पहला समायोजन पति के साथ होता है और फिर ससुराल के अन्य सदस्यों के साथ समायोजन की समस्या उत्पन्न होती है। आज मेरे विचारो ने पारिवारिक समायोजन की समस्या को उठाया है। वधू को ससुराल में सबसे अधिक समायोजन की समस्या ससुराल की स्त्रियों के साथ होती है जो कि सास, ननद, जेठानी के रूप में होती है। बहुदा बहू और सास में परस्पर मनमुटाव होता रहता है। इस बात पर मेने बहुत शोध किया की सास बहू मे अनबन व आपस मे अनबन के किस्से ज्यादा क्यू होते है ! काफी संशोधन के बाद इस निर्णय पर पहुचा की सास बहू मे मुख्यतया 20 वर्ष का उम्र का फर्क होता ही है ! अब इन 20 वर्ष के फर्क मे सोच का काफी फर्क होता है ! मुख्यतया सास की पढ़ाई 12 या इसके समकक्ष या इससे भी कम होगी ! ओर आज की लडकीया कुछ ज्यादा पढ़ी लिखी ! स्वाभाविक है सोच व विचारधारा मे फर्क होगा ही ! अब यह 20 वर्षो का अंतर तो स्वाभाविक है ! फिर संतुलन की कमी को केसे पूरा किया जाए जब यह सोच का संतुलन पूरा नही हो पाता स्वाभाविक रूप से उनमे यह मनमुटाव होना ही है !
इसका समाधान क्या ?
नव वधू के आगमन पर सास को प्रायः ‘‘असुरक्षा की भावना’’ अनुभव होती है। इसी के वशीभूत हो कर वह अपने मन के रोष, क्षोभ, आशा, स्पर्धा आदि भावों का शिकार हो जाती है। परिवार के पुरुष वर्ग का अधिकांश समय घर के बाहर व्यतीत होता है और प्रायः स्त्रियां सारा दिन घर में रहती हैं इसलिए समायोजन की आवश्यकता उनके साथ अधिक होती है। यद्यपि आज महिलाएं नौकरीशुदा भी हैं। एक अन्य मनोवैज्ञानिक कारण है- स्त्रियों में जाने अनजाने में एक दूसरे के रूप और गुण के प्रति ईर्श्या की भावना का होना। एक और स्थिति में जरा-सी चूक हो जाने पर समायेाजन की समस्या गंभीर होने के साथ-साथ असंभव भी हो जाती है, जहां वर अपने परिवार से बहुत अधिक जुड़ा रहता है। उसके अनुसार आदर्श नारी का रूप उनकी मां और बहनें ही होती हैं और वह उन्हीं की विशेषताओं को अपनी पत्नी में भी देखना चाहता है। वधू का अपना व्यक्तित्व और विशेषताएं होती हैं तथा जब वर के द्वारा अपनी पत्नी तथा परिवार की अन्य स्त्रियों में बहुत अधिक तुलना की जाने लगती है तो कई बार वधू के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचती है और सहनशीलता की सीमा पार हो जाने पर परिवार टूट जाते हैं। ऐसा कभी-कभी वधू के द्वारा भी हो जाता है कि वह अपने पिता की छवि व विशेषताएं अपने पति में देखना चाहती है। यह भावना ग्रंथी होती है। स्त्री-पुरुष संबंधों में व परिवारों में जिन समस्याओं के कारण तनाव उत्पन्न हो, उन समस्याओं पर मिलकर विचार करना चाहिए। कौन सही है, इस पर नहीं अपितु क्या सही है इस पर विचार किया जाना चाहिये !..........
अकसर छोटी.छोटी बातों को लेकर पति.पत्नी इस हद तक झगड़ पड़ते हैं कि उनकी जिंदगी में सिर्फ तनाव ही रह जाता है जो उन पर इस हद तक हावी हो जाता है कि दोनों का एक छत के नीचे जीवन बसर करना मुश्किल हो जाता है और नौबत तलाक तक पहुंच जाती है। आम जिंदगी में यदि पति.पत्नी कुछ बातों को ध्यान में रखें तो तनाव से बच कर अपने घरेलू जीवन को खुशियों से भर सकते हैं। यदि पति.पत्नी के बीच कभी झगड़ा हो तो दोनों में से एक को शांत हो जाना चाहिए जिससे बात आगे न बढ़े और फिर पति.पत्नी का झगड़ा तो पानी के बुलबुलों की तरह होता है जो पल भर में ही खत्म हो जाता है। युगो से नर-नारी समानता का एक मूल तथ्य परिचालित किया जाता रहा है कि पुरूष स्त्री की अपेक्षा साधारणतया ज्यादा बड़ा और शक्तिशाली होते हैं और सामान्यतः भौतिक हिंसा में जीत उन्हीं की होती है । मानव सभ्यता के शुरू से ही स्त्रियों को पुरूषों के भौतिक हमलों से स्वयं की रक्षा करनी पडी है । यहां तक कि जब वह क्रोधित नर के सामने अपने आप को असहाय महसूस करती है कई पत्नियां अपनी पति की बातों को लेकर काफी कंफ्यूज रहती है कि आखिर उनके पति अपने मन की बात उनसे शेयर क्यों नहीं करते और उनके पति मन ही मन परेशान क्यों रहते है और खुद ही अपनी सारी मुश्किलों को सुलझाने के लिए प्रयत्न करते रहते है और उनसे कोई भी बात शेयर क्यों नहीं करते । इन्ही कारणों से कभी-कभी पति-पत्नी के बीच में मन मुटाव पैदा हो जाता है और कई पत्नियां जो अपने पति के मन की बातों को समझ लेती है उनके पति उनसे खुश हो जाते है परंतु कई बार पत्नी कंफ्यूज हो जाती है कि आखिर उनके पति की खुशी किस बात में है । इन टिप्स की मदद से आप जान सकती है कि एक पति अपनी पत्नी से क्या चाहता है ।
कुछ टिप्स –
हर पति अपनी पत्नी से यह अपेक्षा करता है कि उसकी पत्नी उसके अच्छे कार्य करने पर उसकी तारीफ करें और एसा करने से आपके पति आपसे खुश हो जाएंगे। पति को ये बात सबसे ज्यादा अच्छी लगती है कि जब वो घर पर रहे तो उसकी पत्नी उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करें और जितना भी समय उसके साथ व्यतीत करें वो लम्हें हंसी मजाक से भरे होने चाहिए और लड़ाई झगड़े न हो जिससे रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है । पति को ये बात सबसे अच्छी लगती है जब उसकी पत्नी घर के छोटे- छोटे कामों में अपने पति की मदद मांगे और काम करने के साथ- साथ आपस में ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत हो सकता है । हर पति यही चाहता है कि उसकी पत्नी सिर्फ उसी से प्यार करें !
उत्तम जैन (विद्रोही )
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