लघु कथा - जीवन मे जहर - भाग 1
एक अच्छे कुल में 3 भाइयो के बाद एक लड़की का जन्म हुआ लड़की का नाम माता पिता ने बड़े प्यार से शांति रखा । शांति जन्म से बहुत रूपवान व पढ़ने में कुशल थी स्वभाव से सदैव हंसमुख थी मगर स्वभाव में एक कमी थी कि बहुत गुस्सेल थी । बचपन में पिता का देहांत हो गया । माँ व भाइयो ने एक अच्छा रिश्ता देखकर शादी भी करा दी । मगर शांति ससुराल में सदैव पारिवारिक संघर्ष में रही । संघर्ष करते करते उसके जीवन मे गुस्सा व चिड़चिड़ापन बहुत बढ़ गया । एक पवन(हवा) का ऐसा झोका आया शांति के पति स्वर्गसिधार गए । कुछ संघर्ष के बाद अपनी मेहनत व होंसले से बच्चो का व खुद पेट पाल रही थी । कुछ वर्षो बाद शांति की एक अनायास मुलाकात संतोष से हुई संतोष नाम से ओर स्वभाव से संतोषी था मगर थोड़ा भावुक था । शांति और संतोष ने शादी कर ली । कुछ वर्षों तक सब कुछ ठीक चला मगर संतोष अपनी पत्नी शांति को बहुत प्यार करता था दिलोजान से चाहता था मगर वह हजार खुशी देने के बाद शांति से एक अपेक्षा रखता था कि शांति सदैव उसके माता पिता व उसके बच्चो को सदैव भरपूर प्यार , मान सन्मान दे । शांति मन की तो अच्छी थी मगर गुस्सा उसके सदैव नाक पर रहता था । बात बात पर शांति नाम के विपरीत वाद विवाद को जन्म दे देती । परिणाम यह हुआ शांति व संतोष दोनो एक दूसरे से अताह प्यार करने के बावजूद दोनो उखड़े उखड़े रहते उधर संतोष की परेशानी यह थी कि एक तरफ कुवा तो दूसरी तरफ खाई । एक तरफ अपने माता पिता व बच्चो का सोचता दूसरी तरफ शांति से अति प्रेम में उलझा था खुद समझ ही नही पा रहा था कि क्या करूँ ओर सदैव मानसिक तनाव में रहते रहते संतोष भी चिड़चिड़ा हो गया अब शांति द्वारा जब भी कोई वाद विवाद खड़ा होता संतोष ओर शांति दोनो में दूरियां बढ़ती जाती कुछ इसी तरह दोनो के जीवन मे आये दिन कलह ने घर मे निवास स्थान बना लिया । शांति की एक महिला मित्र कोमल कानूनी सलाहकार थी बिल्कुल अपने पेशे से विपरीत स्वभाव जैसा नाम वैसा ही व्यवहार उसने शांति व संतोष दोनो के बीच सामंजस्य बिठाने की सोची ओर दोनो को मार्गदर्शन देती रही ..... आगे अगली कड़ी में
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही )
Monday, 21 August 2017
लघुकथा - जीवन मे जहर
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