Sunday 2 September 2018

जैन भाइयो के लिए विचारणीय विषय जैन क्या है राजनीतिक दलों की नजरों में ?

मेरा सभी सधार्मिक जैन भाईयों के लिए  विचारणीय सवाल ---

                                                            उत्तम जैन ( विद्रोही)
                                                           संपादक- विद्रोही आवाज
                                                                        -- बेबाक बात --
अभी मुनि श्री तरुण सागर जी का महाप्रयाण हुआ समस्त जैन समाज  शोकमग्न था क्यों कि मुनि श्री तरुण सागर जी ने कभी पंथवाद को प्रशय नही दिया भले दिगम्बर सम्प्रदाय से दीक्षित हुए व दिगम्बर मान्यता का अनुसरण करते थे मगर सभी सम्प्रदाय के प्रिय संत थे जिनके प्रवचन सभी सम्प्रदाय के लोग सुनते थे सिर्फ जैन ही नही अजैनो में भी लोकप्रिय थे ।अभी कुछ दिन पूर्व तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करूणानिधि का निधन 94 वर्ष की उम्र में होता है,  एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया जाता है, भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का लम्बी बिमारी के पश्चात 94 वर्ष की आयु मे निधन होता है तो सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित होता है, एंव उनकी शवयात्रा मे माननीय प्रधानमंत्री सहित 23 प्रदेशों के मुख्यमंत्री, दिल्ली के सातों सांसद एंव बीजेपी के सभी सांसद व वरिष्ठ पदाधिकारी पैदल पांच से छ: किलोमीटर तक पैदल चलते हैं, लेकिन इसके विपरीत एक विश्व संत दिगंबर जैन संत तरूण सागर जी महाराज का मात्र 51 वर्ष की आयु मे आकस्मिक निधन होता है, तो किसी भी राजनैतिक दल का कोई भी नेता, सांसद, विधायक, मुख्यमंत्री, निगम पार्षद या उनका कोई प्रतिनिधि उनके निधन पर उन्हे नमन करने या शवयात्रा मे दो कदम साथ चलने नही आया, जबकि अधिकांश केन्द्रीय मंत्रियों, दिल्ली के सातो सांसदों, दिल्ली के मुख्यमंत्री, मंत्रीगण, सभी 70 विधायकों का निवास स्थान दिल्ली में ही है। सम्पूर्ण देश मे केवल प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ही टविटर पर शोक संवेदना व्यक्त की। जबकि अपने वोट बैंक के लिए लगभग सभी दलों के नेतागण महाराज जी से समय समय पर आर्शीवाद लेने जाते रहे हैं। सिर्फ नेता  जैन समाज का समर्थन करने के लिए हमारे जैन आचार्यो संतो के दर्शनार्थ आते है यह तो सिद्ध हो चुका है ।
              मेरा अपने सधर्मी भाईयों से एक सवाल है कि आपके तिर्थस्थानों पर अन्य धर्मों के लोगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है कोई भी राजनैतिक दल बचाव के लिए आगे नही आता है। सम्मेदशिखर के यात्रियो के साथ ट्रेन में मार पिटाई होती है कोई कार्यवाही नहीं होती, आपके सर्व धर्म में सर्व मान्य राष्ट्र संत का देवलोक गमन होता है तो भी इनके पास समय नही है तो क्यो हम इन राजनैतिक दलों के तलवे चाट रहे हैं। क्या अहमियत है जैन समाज की इन राजनैतिक दलों की नजरों में, क्या हम केवल इनका वोट बैंक ही है।
किसी भी भाई या बहन को मेरी पोस्ट से कोई दुख पहुंचे तो क्षमाप्रार्थी हूँ।

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