Sunday, 10 September 2017

हमारे बच्चे कितने सुरक्षित---विचारणीय विषय

अभी अभी एक प्रद्युम्न हत्या का मामला हमे हर टीवी चेनल व समाचार पत्र मे पढ़ने को मिल रहा है मे इसकी निंदा करते हुए अपने विचार संप्रेषित कर रहा हु !
घटना – १. गुरुग्राम के नामी रयान इंटरनेशनल स्कूल में दूसरी क्लास में पढ़ने वाले 7 साल के बच्चे प्रद्युम्न का शव वॉशरूम में मिला है. शव के पास से चाकू बरामद हुआ है. बच्चे की गर्दन और शरीर के अन्य हिस्सों पर चाकू के निशान मिले हैं. हालाँकि घटना के बाद स्कूल के ही बस के कंडक्टर को आरोपी के रूप में गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है. कंडक्टर ने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया है.साथ मे स्कूल के प्रबन्धक को भी गिरफ्तार कर लिया बस के कंडक्टर अनुसार वह प्रद्युम्न के साथ अप्राकृतिक यौनाचार करना चाहता था और असफल रहने पर चाकू से उसकी गर्दन पर वार कर दिया और प्रद्युम्न की मौत हो गयी. स्कूल के प्रिंसिपल को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया है. पर पूरा मामला संदिघ्ध लग रहा है और स्कूल की लापरवाही साफ़ झलक रही है. बाद में यह भी पता चला है कि प्रद्युम्न अभी अपने क्लास में आया भी नहीं था. उसकी सहपाठी बच्ची से प्रद्युम्न का बैग माँगा गया और उससे उसकी डायरी निकाली गयी. उसके स्कूल बैग और पानी के बोतल को जिसमे खून के निसान थे साफ़ किया गया. चाकू जिससे हत्या की गयी उसे भी साफ़ किया गया. बाथरूम के फर्श को साफ़ किया गया, यानी हत्या के निशान को मिटाने की कोशिश की गयी. यह सब मामले को और ज्यादा संदिघ्ध बनाता है. स्कूल प्रशासन और स्थानीय प्रशासन सभी शक के घेरे में हैं. जबकि मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर न्याय की बात करते हैं. खट्टर साहब कितने विश्वसनीय हैं, यह हाल की बहुत सारी घटनाओं से साफ़ झलकता है, पर उन्हें तो ऊपर से वरदहस्त प्राप्त है. बच्चे का मामला है, कुछ दिन बाद अपने आप शांत हो जाएगा.
घटना -२. हैदराबाद के एक संभ्रांत इलाके के स्कूल में सात साल के छात्र ने अपने से एक साल छोटे लड़के की कथित तौर पर इस कदर पिटाई की कि वह अपनी जान से हाथ धो बैठा। पुलिस के द्वारा दी गई जानकारी में पहली क्लास के मोहम्मद इब्राहिम को 12 जुलाई के दिन तीसरी में पढ़ने वाले एक छात्र ने न सिर्फ पीटा बल्कि उसके पेट में चार बार इस कदर लात मारी की दो सर्जरी के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। अस्पताल में भर्ती होने के चार दिन बाद भी इब्राहिम अपनी चोटों से उभर नहीं पाया और उसकी मौत हो गई।
घटना -३. पिछले साल दिल्ली के एक नामी स्कूल में 6 साल के बच्चे का शव वाटर टैंक में संदिग्ध हालत में मिला था. दिव्यांश नामक यह बच्चा रयान इंटरनेशनल स्कूल में पहली कक्षा का छात्र था. शनिवार को वह पोएम कॉम्पटिशन में भाग लेने स्कूल आया था. हैरानी की बात ये रही कि शव शनिवार दोपहर करीब सवा 12 बजे बरामद हुआ, जबकि पुलिस को इसकी जानकारी करीब 2 घंटे बाद दी गई. स्कूल पहुंचकर पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि दिव्यांश सांतवें पीरियड से क्लास से गायब हो गया था. स्कूल के पिछले हिस्से में एक वाटर पंप के टैंक में उसका शव मिला. जांच रिपोर्ट में स्कूल को लापरवाह और सबसे बड़ा जिम्मेदार बताया गया था. मामले में प्रिंसिपल से लेकर स्कूल मैनेजमेंट तक पर कार्रवाई की सिफारिश की गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि स्कूल अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह से फेल रहा था. छुट्टी के दिन बच्चे को बुलाया था इसलिए एक्स्ट्रा ध्यान रखने की जरूरत थी जो नहीं हुआ.
घटना -४. गुड़गांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में अभी सात वर्षीय प्रद्युम्न की रेप की कोशिश में नाकाम रहने के बाद हत्या किए जाने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि राजधानी दिल्ली के शाहदरा स्थित गांधी नगर इलाके में एक प्राइवेट स्कूल के परिसर में एक चपरासी द्वारा पांच साल एक बालिका के साथ कथित रूप से बलात्कार किये जाने का मामला सामने आया है. शाहदरा की पुलिस उपायुक्त नुपूर प्रसाद ने बताया 40 वर्षीय आरोपी विकास को गिरफ्तार कर लिया गया है. वह इसी स्कूल में चपरासी का काम करता है. पुलिस ने बच्ची के बताए हुलिये और पहनावे के आधार पर दबिश देकर विकास को पकड़ा, जिसके बाद उसकी तस्वीर बच्ची को दिखाई गई. बच्ची ने उसे पहचान लिया. हालांकि देर रात जब आजतक ने आरोपी विकास से बात की तो उसने इनकार कर दिया. उसने कहा कि वह तो बच्ची को जानता तक नहीं. पुलिस ने जब विकास को गिरफ्तार किया तब वह शराब पिए हुए था. पूछने पर उसने कहा कि वह रोज शराब पीता है. उसने कहा कि उसे किसी चीज की जानकारी नहीं है. उसके कहे अनुसार वह पिछले कई सालों से बच्चों को स्कूल छोड़ रहा है लेकिन कभी किसी ने शिकायत नहीं की. वहीं पुलिस ने बताया कि विकास स्कूल में पिछले तीन वर्षों से काम कर रहा था. इससे पहले वह इसी स्कूल में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करता था. पुलिस ने बताया कि वह बच्ची को सुबह करीब 11 बजकर 45 मिनट पर एक खाली क्लासरूम में ले गया और उसके साथ बलात्कार करने के बाद उसे गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी दी. यह मामला तब सामने आया जब लड़की ने अपनी मां से उसके गुप्तांग से खून आने और दर्द होने की शिकायत की. लड़की को एक अस्पताल ले जाया गया जहां मेडिकल टेस्ट के बाद बलात्कार की पुष्टि हुई. पुलिस के अनुसार, घटना के बाद सदमे में आई बच्ची को काउंसलिंग के लिए भेजा गया है. ऐसे में पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए धारा 376 और पॉस्को के तहत मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.
सवाल फिर यही उठता है कि उपर्युक्त सभी घटनाएँ हाल-फिलहाल की हैं और नामी-गिरामी स्कूलों की हैं, जहाँ की बिल्डिंग अच्छी होती हैं. ब्यवस्था अच्छी कही जाती है और इन सबके एवज में बच्चों के माता पिता से काफी ऊंची फीस वसूली जाती है और जिम्मेदारी के नाम पर …. कुछ नहीं. इन स्कूलों में प्रबंधन तो मोटी कमाई करता है और तगड़ी फीस लेता है सरकारी नियमो एक धतत्ता ओर  दूसरे तीसरे स्कूल भी खोलता चला जाता है पर अपने यहाँ के स्टाफों का खूब दोहन करता है. शिक्षक से लेकर तीसरे चौथे दर्जे के कर्मचारियों की न्युक्ति का पैमाना कितना सही होता है, यह नजदीक जाकर ही पता चलता है. मैं यह नहीं कहता कि सभी कर्मचारी या स्टाफ घटिया स्तर के होते हैं, पर कुछ तो ऐसे होते ही हैं जो अच्छे खासे स्कूल को बदनाम भी कर देते हैं. बहरहाल जिम्मेदारी तो स्कूल की बनती ही है. साथ ही स्थानीय प्रशासन और सरकार की भी जिम्मेदारी होती है कि इन सभी शिक्षण संस्थाओं पर अंकुश रक्खे और बीच-बीच में औचक निरीक्षण कर जायजा लेती रहे.! 
पिछले वर्ष सूरत के एक जाने माने स्कूल की एक शिकायत मेरे पास आई उस स्कूल द्वारा नियुक्त ओर स्कूल द्वारा स्कूल बस व स्कूल वेन का ठेका स्कूल द्वारा दिया गया वेन ड्राइवर एक भोली व मासूम लड़की को बरगला कर शादी करने का झांसा दे रहा था ! मेरे पत्रकार होने के नाते लड़की के पिता ने मुझसे संपर्क किया मे व मेरे समाचार पत्र के प्रबंध संपादक स्कूल मे गए प्रिंसिपल से बात भी की मगर प्रिंसिपल ने मुह मोड लिया की हमारी कोई ज़िम्मेदारी नही है जबकि प्रबंधन से बात करने की बहुत कोशिस की मगर प्रबंधन बात करने को तेयार नही हुआ ! हुआ यही की वें ड्राइवर अपने मिशन मे सफल हो गया ! ओर लड़की को भगाकर ले गया !    
विद्यालय विद्या का मंदिर होता है जिसमे बच्चे हर प्रकार से विकसित होते हैं. इन विद्यालयों में बच्चे पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ अनुशासन, खेलकूद, नैतिक शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग लेकर एक अच्छे नागरिक बनते हैं. एक अच्छे नागरिक की आधारशिला इन विद्यालयों में ही रखी जाती है. पर इसी समाज के कुटिल और क्रूर व्यक्ति बच्चों के साथ शर्मनाक हरकत कर स्कूल को बदनाम तो करते ही हैं, बाकी बच्चों पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है. ऐसे ही आजकल बच्चे मोबाइल और इन्टरनेट के चलते बहुत हद तक बर्बाद हो रहे हैं. ऊपर से कुछ कातिल शातिर गेम भी काफी सारे बच्चों को आत्महत्या करने पर मजबूर करने लगे हैं.! बच्चों के लिए माँ की गोद के बाद अपना घर और उसके बाद पाठशाला ही सुरक्षित और संरक्षित जगह है. ऐसे में हम सबको, अभिभावकों को, विद्यालय प्रबंधकों को, बहुत हद तक सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि यही बच्चे आगे चलकर हमारे और हमारे देश का भविष्य बननेवाले हैं. हम सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि इन बच्चों को सही माहौल दिया जाय ताकि ये एक होनहार योग्य नागरिक बने. क्योंकि गीता इसमें, बाइबिल इसमें, इसमें है कुरान, बोलो बच्चा है महान, जग में बच्चा है महान! बच्चे में है भगवान! बोलो बच्चा है महान! .....
मगर आज सरस्वती मंदिर सिर्फ ओर सिर्फ रुपए के पीछे भाग रहा है जहा शिक्षको का भी शोषण हो रहा है व बच्चो का भी शोषण हो रहा है हमे इस ओर ध्यान देना होगा !
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही )  

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