हमारे देश की सरकार द्वारा नवीनतम लागू जीएसटी अनेक प्रकार के टेक्स को
हटाकर लागू किया गया । इस टेक्स के लागू करने के संसद भवन के सेंट्रल भवन
में एक जश्न एक घंटा बजाकर लागू किया । सरकार अगर कोई भी टेक्स का नया
प्रारूप लेकर आती है निसंदेह देश हित के लिए लेकर आती है । कुछ त्रुटी अगर
होती है उसे भविष्य में सरकार सुधार भी सकती है । क्यों कि क्या गलत है
क्या सही है लागू होने के बाद उसके परिणाम आने पर ही मालूम होता है । सरकार
के नए gst का कही स्वागत तो कही विरोध भी हो रहा है । प्रजातांत्रिक देश
मे सभी को अपने विचार रखने का अधिकार प्राप्त है । उसी राह में टेक्स्टाइटल
जिस पर 5% जीएसटी लगाया गया। व्यापारी को यह उचित नही लगा । सरकार को
इसके लिए अपील भी की जो इनके अधिकार क्षेत्र में आता है भले सरकार ने कपड़ा
व्यापारी की नही सुनी और न ही किसी तरह का पुनर्विचार हेतु आश्वाशन दिया ।
हमारा देश लोकतांत्रिक देश है लोकतंत्र में एक अच्छी व्यवस्था है अपने अपने
क्षेत्र से जनता प्रतिनिधि चुनकर भेजती है और वह प्रतिनिधि संसद में अपने
क्षेत्र की समस्या सरकार के सामने रखता है समस्या के साथ उस क्षेत्र के
विकास का कार्य भी प्रतिनिधि देखता है । ओर यही कार्य सूरत के व्यापारियों
ने किया प्रतिनिधी के माध्यम से व्यापारियों ने अपनी बात सरकार तक पहुचाने
की भरसक कोशिश की। हमारे जनप्रतिनिधि एक व्यापारीयों द्वारा चुने हुए
संघर्ष समिति के एक दल को लेकर वित्तमंत्री से मिले भी उसके बाद भी सरकार
अडिग रही और gst जश्न के साथ लागू हो गया । स्वाभाविक है जब कपड़ा व्यापारी
की आवाज को सरकार ने नही सुना एक आंदोलन ही रास्ता बचा ओर सूरत के
व्यापारियों ने वही किया शांतिप्रद आंदोलन । आंदोलन के पूर्व जनप्रतिनिधि
ने व्यापारियों आश्वासन व सकारात्मक सहयोग न देकर तोड़ने का प्रयास किया ।
जब जनप्रतिनिधि से भी व्यापारियों को अपेक्षा नही रही आंदोलन ही एक मात्र
रास्ता बचा ओर व्यापारी अग्रसर हो गए आंदोलन की ओर मगर व्यापारी वर्ग हमेशा
शांति व विवेक से आंदोलन के पक्षधर रहे है और वही किया । आंदोलन के पहले
दिन युवा व्यापारियों जोश से लबालब थे । सभी की एक ही आवाज थी जीएसटी नही
चाहिए । तभी लोग हजारो की संख्या में मार्किट परिसर में शांत आंदोलन कर रहे
थे । अचानक पोलिस द्वारा बेरहमी से लाठीचार्ज शुरू किया गया । लाठीचार्ज
असामाजिक तत्वों पर सुरक्षा के लिए किया जाता है मगर व्यापारियों पर जो गलत
तरीके से लाठीचार्ज किया गया । साथ मे सम्पूर्ण व्यापारियों का सबसे बड़ा
संगठन फेडरेशन ऑफ ट्रेडर्स एशोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व मार्किट के
सन्मानित बुजुर्ग व्यक्ति अत्तर सिंग जी के साथ घसीटते हुए जो लाठीचार्ज
का वीडियो जैसे ही वायरल हुआ सभी व्यापारियों सिर्फ सूरत में ही नही
सम्पूर्ण राष्ट्र में कपड़ा व्यापारी आक्रोशित हो गए । और स्वयंभू बेमुद्दत
बन्द के समाचार प्राप्त होने लगे । यह आक्रोश स्वाभाविक भी था क्यों कि
व्यापारियों के स्वाभिमान पर एक बहुत बड़ी चोट थी । मगर सूरत पोलिस आयुक्त
ने सूझबूझ का परिचय देते हुए इस लाठीचार्ज पर खेद व्यक्त किया जिसका वीडियो
जब वायरल हुआ व्यापारियों का आक्रोश कुछ हद तक कम भी हुआ । मगर व्यापारी
gst के सरलीकरण व सिर्फ यार्न पर ही टेक्स लगे उसकी मांग पर आज भी अड़े हुए
है । उनकी मांग पर अगर घोर किया जाये कुछ हद तक कपड़े बाजार की व्यवस्था व
कार्यप्रणाली को देखा जाए तो उनकी मांग सही भी है । क्यों कि व्यापारी
टेक्स का विरोध नही कर रहे है सरलीकरण व यार्न तक ही टेक्स की मांग कर रहे
है । सरकार का मुख्य मिशन टेक्स ही है तो टेक्स तो सरकार को मिल ही जायेगा
फिर सरकार इस मुद्दे पर क्यों नही विचार कर रही है समझ से परे है । दूसरी
बात सरकार ने लाठीचार्ज पर आधिकारिक रुप से कोई खेद व्यक्त नही किया । हा
विरोधी पक्ष जरूर अपनी रोटियां सेंकने या समस्या को देखते हुए जरूर सक्रिय
हो गयी और लाठीचार्ज को तानाशाही बताया । वैसे विपक्षी पार्टी का साथ
आंदोलन को सफलता दिलाने में मददगार भी हो सकता है । साथ मे जनप्रतिनिधि की
भी चाहिए अपने क्षेत्र की समस्या को प्रखरता से सरकार तक रखे व सरकार की
बाध्य करें कि व्यापारियो की मांग उचित है । सरकार व व्यापारियो के बीच
निष्पक्ष रूप से समन्वय स्थापित करे । जिससे उचित निर्णय हो सके । क्यों कि
इस बेमुद्दत बन्द से एक सामान्य मजदूर से लेकर लाखो लोगो का इसका नुकसान
हो रहा है । आज लूम्स , डाईंग से लेकर मार्किट के सभी कामगारों का नुकसान
सूरत की ही नही देश की आर्थिक स्थिति के लिए नुकसान देह है । एक सामान्य
कामगार जो मेहनत करके दो समय की रोटी का जुगाड़ करने व अपने परिवार को पालने
के लिए अपने वतन से सूरत आया है आज बेरोजगार होकर घर बैठा है । सरकार व
कपड़ा बाजार दोनों को समन्वय बिठाकर इस मामले में कोई सुलह का रास्ता अपनाना
चाहिए । क्यों कि कोई भी आंदोलन अगर लंबा चला तो वापस इसको पटरी पर आते
आते 6 महीने लग जाएंगे आज इस ब्लॉग के माध्यम से सरकार व व्यापारियों से
अपील करता हु आप जल्दी से जल्दी आपसी बातचीत द्वारा सुलह व जो हितकारी हो
उस ओर अपने कदम बढ़ाए जिससे फिर लाखो लोग अपने कार्य की ओर अग्रसर होकर अपनी
रोजी रोटी की ओर ध्यान केंद्रित कर सके । इस आंदोलन का संयोजक श्री
ताराचंद कासट है जिन्हें सभी व्यापारियों ने निर्विरोध चुना है जो एक
मंझे हुए व्यापारी के साथ एक अच्छी सूझबूझ के धनी है अपनी सूझबूझ से जल्दी
ही सभी व्यापारी की समस्या व फायदे को देखते हुए उचित निर्णय तक पहुचायेंगे
मुझे पूरा विश्वाश है ।
आपका .. उत्तम जैन ( विद्रोही )
प्रधान संपादक - विद्रोही आवाज - सूरत
आपका .. उत्तम जैन ( विद्रोही )
प्रधान संपादक - विद्रोही आवाज - सूरत

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