Monday 31 July 2017

लघु कथा --- समाधान--- दुपट्टा ( व्यंग )

कानपूर में सुषमा रहती थी वह बहुत ही काली-कलूटी कुरूप थी और उसकी अपनी दो गोरी-गोरी बहंने थी तीनो बहने अपने माता-पिता के साथ रहती थी.सुषमा अपनी कुरूपता से इस कदर दुखी रहती कि दर्पण देखने का साहस भी न जुटा पाती... घर पर बहने भी बहुत बार सुषमा के रंग रूप पर मजाक बनाती थी और राह चलते लोग तो उसे देख ऐसी मुँह बनाते जैसे उन्होंने कोई घृणित चीज देख लिया हो..घरवाले के मजाक का तो ज्यादा बुरा नही लगता पर बाहरवालों की टिपण्णी और उपेक्षा से वह प्रभू के आगे घंटों आँसू बहाती..
एक दिन प्रभू उसकी व्यथा से व्यथित हो प्रगट हुए और बोले- ’ बच्ची..क्यों इतना दुखी होती हो ? तुम्हारी समस्या से मैं वाकिफ हूँ..हर समस्या का समाधान भी होता है..तुमने कभी समाधान की कोशिश की ? ‘

‘ क्या कोशिश नहीं की प्रभू...फेसपेक ,फेयर एंड लवली, पोंड्स, इमामी, तरह-तरह के क्रीम आदि लगाया पर सबने धोखा दिया..मेरे माता-पिता इतने धनी भी नहीं कि माईकल जेक्शन की तरह मेरी प्लास्टिक सर्जरी करवा सके..’
‘ अरे पगली..इसमें धन की क्या जरुरत ? तुम तो मात्र पच्चीस रुपये में इस समस्या से छुटकारा पा सकती हो....अभी और इसी वक्त..’
‘ वो कैसे प्रभू ? ‘ लड़की विस्मित हुई क नयी आशा की किरण जगी सुषमा ने कहा प्रभु जल्दी बताओ उपाय -----प्रभु ने उपाय बताया
से पूछे-‘ क्या हाल है बच्ची ? ‘खरीदो..उसे सिर से लेकर गले के नीचे तक ऐसे लपेटो कि केवल आँखे भर दिखाई दे..लगे तो उस पर भी चश्मा चढ़ा लो और फर्राटे के साथ स्कूटी या सायकल पर उडो..तुम पर ना कोई टिपण्णी करेगा ना ही उपेक्षा करेगा ..उलटे लोग तुम्हारे पीछे भागेंगे...जाओ..समय मत गवांओ...मैं साल भर बाद तुमसे मिलूंगा..’
साल भर बाद प्रभू प्रगट हुए..

सुषमा से पूछे-‘ क्या हाल है बच्ची ? ‘

सुषमा ख़ुशी से चहकते बोली- ‘ बहुत खुश हूँ प्रभू..अमन-चैन से हूँ...शुरू-शुरू में थोड़ी दिक्कतें आई..हर कोई दुपट्टे का रहस्य पूछते..मैं सबको एक ही जवाब देती- धूल-धुंवां आदि के प्रदूषण से बचने मुँह बांधती हूँ..लेकिन अब कोई कुछ नहीं पूछता अब तो यह सजगता शत-प्रतिशत लड़कियों के सिर पर सवार है..अब मैं अकेली ही ( कुरूप ) नहीं, शहर की सारी लडकियां मेरे साथ ( कुरूप ) हैं..सबको नकाब में देखती हूँ तो बहुत ख़ुशी होती है.हम सबमें एकरूपता जो आ गई.. सुषमा ने प्रभू का आभार व्यक्त किया ! प्रभु अद्रश्य हो गये
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही ) 

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