Sunday, 16 April 2017

सुखी बहू गाव की

 मे यदा कदा ब्लॉग लिखता हु ... विचारो की अभिव्यक्ति व्यक्त करता हु ... कहानी कभी लिखी नही प्रथम बार कोशिश की कोई शिक्षाप्रद कहानी लिखू आज की वर्तमान समस्या पर अच्छी लगे होसला बढाये ....सभी नाम व स्थान काल्पनिक है
शीर्षक - सुखी बहू गाव की
एक छोटा सा गाव था उस गाव मे एक स्कूल था वह भी 10 वी तक गाव की लड़कियो की ज्यादा से ज्यादा शिक्षा 10 वी तक ही होती थी माँ बाप कम शिक्षित थे लड़कियो को पड़ोस के शहर मे शिक्षा के लिए भेजना पसंद नही करते थे क्यू की सोचते थे शहर मे जाकर लडकीया गलत राह पर न चली जाये ! गाव की बहुए भी ज्यादा पढ़ी लिखी नही थी ! 10 वी तक पढ़ी हुई तो मुश्किल से 2-4 होगी ! गाव की महिलाओ की दुनिया गाव तक ही सीमित थी ! यदा कदा शहर की ओर जाना होता था ! मगर गाव की बहुये खुद मस्ती मे रहती थी ! कभी घर मे सास बहू मे अनबन होती रहती थी एक बहू गाव मे ऐसी थी जो ज्यादा पढ़ी लिखी थी उसके सास व परिवार किसी से नही जमती थी आए दिन किसी न किसी बात पर सास बहू देवरानी जेठानी से झगडा होता रहता था ! गाव की एक अनपढ़ बहू ऐसी भी थी उसे सास सहित पूरे परिवार का सन्मान मिलता था पढ़ी लिखी बहू से एक दिन अनपढ़ बहू से अनायास मुलाक़ात हो गयी पढ़ी लिखी बहू ने अनपढ़ बहू से पूछा बहन तू मुझसे कम पढ़ी लिखी है मुझ जितना ज्ञान भी नही फिर भी तेरा नसीब कितना अच्छा तुझे सास सहित पूरे परिवार का सन्मान मिलता है मुझे देख न सास का प्यार न परिवार का प्यार मिलता है ओर तो ओर मेरा पति भी खुद की माँ की तरफदारी करता है अनपढ़ बहू सुनती रही निशब्द थी बार बार पढ़ीलिखी बहू बार बार प्रश्न करती रही तो अनपढ़ बहू बोली बहन मेरी सास व पूरा परिवार मुझे प्यार देता है इसका कारण यह है की मे अपने पति से निश्चल अटूट प्यार करती हु उसकी हर भावनाओ का ख्याल रखती हु जब मुझे लगा मेरा पति मेरी सास व ससुर को सदेव खुश देखना चाहते है ओर मुझे लगा मेरे पति की खुशियो मे क्यू नही मे शामिल हो जाऊ मे अपने पति से ज्यादा मेरी सास ससुर सभी की इज्जत करने लगी उनकी हर भावनाओ का ख्याल रखने लगी उनकी सेवा को अपना धर्म समझने लगी मुझे मेरा पति अपनी माँ व पिता की सेवा करते हुए देखता बड़ा खुश होता था खुद को शोभाग्यशाली समझने लगा ओर मुझे अथाह प्यार करने लगा ! आज मुझे मेरा पति भी प्यार करता है पूरा परिवार सन्मान करता है उसका रहस्य यही है मेने अपने पति की भावनाओ को समझा ओर उनके माँ पिता को सन्मान व प्यार दिया पूरी सेवा करती हु तो मेरा पति मुझ पर गर्व महसूस करता है ओर मुझे अथाह प्यार करता है बहन मेरी खुशी व घर मे मिलता सन्मान का रहस्य यही है पढ़ी लिखी बहू स्तब्ध थी खुद सोचने लगी मे इतनी शिक्षित होने के बाद भी कभी पति की भावनाओ को नही समझी सास व ससुर को अनदेखा करती गयी जिससे न परिवार मे सन्मान पायी न पति का प्यार मिला खुद मे परिवर्तन करने का मिशन लेकर अनपढ बहू से विदा ली .....
सार - हर पत्नी चाहे पति को कितना भी प्यार करे मगर पति की भावनाओ का सन्मान नही करेगी उसे न पति का प्यार मिलता है न परिवार का
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही )

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