स्वतंत्रता दिवस ओर हमारी स्वतंत्रता का सही अर्थ
मित्रो आज हम 72 वा स्वतंत्रता दिवस मना रहे है ! हमे जो स्वतंत्रता विरासत में मिली है ! उस स्वतंत्रता के लिए हमारे पुरखो ने पूर्वजो ने बलिदान किया है आज वह एक इतिहास बन गया है ! अंग्रेजो के शासन से मुक्ति दिलाने में कितने वीर शहीद हुए हमने शायद पुस्तको में ही पढ़ा ! मगर पुस्तको में कुछ चंद शहीदों के नाम ही अंकित हुए ! हजारो हजारो स्वतंत्रता सेनानी ने जन्मभूमि भारत माँ के लिए कुर्बानी दी ! तब जाकर हमें आंशिक ( आंशिक क्यों इसका जबाव आगे की पक्तियों में करूँगा ) स्वतंत्रता प्राप्त हुई ! स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले महान सेनानियों के प्रति शुभकामना प्रेषित करना और हर्ष व् उल्लास है साथ हमे इसे मना लेना ही हमारे कर्तव्य की इति श्री समझ लेना काफी नही है !
चंद पंक्तियो ( अज्ञात कवि ) द्वारा अपने विचार संप्रेषित कर रहा हु
लोकतंत्र है आ गया , अब छोड़ो निराशा के विचार को !
बस अधिकार की बात न सोचो , समझो कर्तव्य के भार को !!
भुला न पायेगा काल , प्रचंड एकता की आग को !
शान से फहराकर तिरंगा , बढ़ाएंगे देश की शान को !!
बित जायेगा वक्त भले , पर मिटा न पायेगा देश के मान को !
ऐसी उडान भरेंगे , दुश्मन भी होगा मजबूर , ताली बजाने को !!
एकता ही संबल है , तोड़े झूठे अभिमान को !
कंधे से कन्धा मिलाकर , मजबूत करे आधार को !!
इंसानियत ही धर्म है बस ,याद रखे भारत माता के त्याग को !
चंद पाखंडी को छोड़कर , प्रेम करे हर इन्सान को !!
देश है हम सब का , बस समझे कर्तव्य के भार को !
नव युग आ गया है , अब छोड़ो निराशा के विचार को !!
आज पूरा देश इस दिन देश प्रेम में डूब जाएगा। जगह-जगह अपना तिरंगा झंडा लहराता हुआ नज़र आएगा। लोगों के कपड़ों, घरों, सामानों, गाड़ियों आदि सब जगह अपना तिरंगा झंडा छाया रहेगा। स्वतंत्रता दिवस का यह दिन हर साल लोगों में एक अलग और नया उत्साह लेकर आता है। बच्चों की उत्सुकता तो देखती ही बनती है। आख़िर देशप्रेम होता ही ऐसा है जो हर एक इंसान के चेहरे पर अलग ही झलकता है। आज़ादी की वह खुशी लोगों के चेहरे पर साफ दिखाई पड़ती है। मगर ये स्वतंत्रता मेरी समझ में कुछ कम आ रही है क्यों की मे स्वयम समाचार पत्र का संपादक हु एक विचारक हु समाचार पत्रों व् शोशल मिडिया पर जगह जगह सुन रहा हु देख रहा हु पढ़ रहा हु आज हमारे देश मे वेचारिक स्वतन्त्रता है हमे अपने विचार रखने की पूर्ण स्वतन्त्रता है ओर होनी भी चाहिए मगर आज राजनीतिक महत्वाकांशा ने हमारे नेताओ का स्तर इतना गिर गया की पप्पू व फेंकू जेसे शब्दो के साथ ऐसे ऐसे घटिया शब्दो का उपयोग आम हो गया है ! हम स्वतंत्र जरूर है मगर हमारे संस्कार गुलाम से प्रतीत हो रहे है हमारे देश के जबांज सेना से भले हम पूर्ण सुरक्षित है मगर ... .. एक दशहत के साथ हम स्वतंत्रता दिवस मनाते है यह भी कटु सत्य है इस लिए मेने पहले आंशिक स्वतंत्रता का उलेख किया ! भारत का स्वतंत्रता दिवस ऐतिहासिक महत्व रखता है क्योंकि इस दिन हम राजनीतिक तौर पर आजाद हुए और हमने लोगों के दिल और दिमाग में राष्ट्रीयता का विचार पैदा करना शुरु किया। अगर ऐसा न होता तो लोग अपनी जाति, समुदाय व धर्म आदि के आधार पर ही सोचते रह जाते। हालांकि भारतीय होने का यह गौरव केवल एक भौगोलिक सीमा के ऊपर खड़ा था। भारत का असली व पूरा गौरव, इसकी सीमाओं में नहीं बल्कि इसकी संस्कृति, आध्यात्मिक मूल्यों तथा सार्वभौमिकता में समाया है। भारत दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी है। तीन ओर से सागर तथा एक ओर से हिमालय पर्वत श्रृंखला से घिरा भारत, स्थिर जीवन का केन्द्र बन कर सामने आया है। यहां के निवासी एक हजारों सालों से बिना किसी बड़े संघर्ष के रहते आ रहे हैं, जबकि बाकी संसार में ऐसा नहीं रहा। जब आप संघर्ष की सी स्थिति में जीते हैं तो आपके लिए प्राणों की रक्षा ही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य बना रहता है। जब लोग स्थिर समाज में जीते हैं, तो जीवन-रक्षा से परे जाने की इच्छा पैदा होती है। इस तरह भारत ही ऐसा स्थान है, जहां लंबे अरसे से, स्थिर समाजों का उदय हुआ और नतीजन आध्यात्मिक प्रक्रियाएं विकसित हुईं। आज आप अमेरिका में लोगों के बीच आध्यात्मिकता को जानने की तड़प को देख रहे हैं, उसका कारण यह है कि उनकी आर्थिक दशा पिछली तीन-चार पीढ़ियों से काफी स्थिर रही है। उसके बाद उनके भीतर कुछ और अधिक जानने की इच्छा बलवती हो रही है। इंसान बुनियादी रूप से क्या है, इस मुद्दे पर इस धरती के किसी भी दूसरी संस्कृति ने उतनी गहराई से विचार नहीं किया जैसा हमारे देश में किया गया। यही इस देश का मुख्य आकर्षण है कि हमे पता है कि मानव-तंत्र कैसे काम करता है, हम जानते हैं कि इसके साथ हम क्या कर सकते हैं या इसे इसकी चरम संभावना तक कैसे ले जा सकते हैं। हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि महान मनुष्यों के निर्माण से ही तो महान देश और महान विश्व की रचना हो सकती है।
परंतु अब, लोगों को भौगोलिक सीमाओं में ही गौरव का अनुभव होने लगा है। अंग्रेज़ों के आने से पूर्व, यह सारी धरती अनेक राज्यों में बंटी थी। फिर हमने इसे एक देश बनाया, लेकिन कुछ दुर्भाग्यपूर्ण कारणों से यह तीन टुकड़ों में विभाजित हो गया है। संसार में कुछ ताकतें हमेशा विभाजन के लिए काम करती रहती हैं क्योंकि इसी में उनका लाभ छिपा होता है। परंतु यदि मानवता परिपक्व हो जाएगी तो सीमाओं के बावजूद उनका इतना अधिक प्रभाव नहीं होगा। सच्ची स्वतंत्रता तभी मिल सकेगी जब हम किसी देश से अपनी पहचान जोड़ने की जरुरत से भी स्वतंत्र हो जाएंगे। अगर कुछ सौ सालों में, हम एक ऐसा दिन मना सकें कि संसार सारी सीमाओं और भेदों से स्वतंत्र हो जाए, तो वह सही मायनों में एक भव्य स्वतंत्रता होगी। अन्यथा, अगर कोई एक देश स्वतंत्र होता है और दूसरा देश गुलाम, तो यह सच्ची स्वतंत्रता नहीं है। जब आप किसी को नीचे दबाते हैं तो आप उसके साथ-साथ अपनी स्वतंत्रता भी गंवा देते हैं। जैसे कोई पुलिस वाला हथकड़ी के एक हिस्से को अपने हाथ में और दूसरे हिस्से को मुजरिम के हाथों मे पहना दे। दोनों ही तो बंधन में बंधे हैं, बस अंतर इतना है कि पुलिसवाले के हाथ में हथकड़ी की चाबी है। परंतु जीवन के साथ ऐसा नहीं है। चाबी तो बहुत पहले कहीं खो गई है। अगर आप किसी को बांधते हैं, तो आप स्वयं भी बंधते हैं और इसे खोलने के लिए कोई चाबी नहीं है। स्वतंत्रता दिवस की असली चाबी सीमाओं को तोड़ने में है, ये सीमाएं केवल राजनीतिक ही नहीं हैं, हमें उन बाधाओं को भी तोड़ना है, जो हमने अपने भीतर बना रखी हैं। जब तक हम अपने गुस्से, भेदभाव, जलन या ऐसी दूसरी सीमाओं से मुक्त नहीं होते, तब तक हमारे लिए स्वतंत्रता कोई मायने नहीं रखती। इस देश की सांस्कृतिक विरासत में, इन बंधनों को तोड़ने की आंतरिक विधियां और तकनीकें हमेशा से मौजूद रही हैं। अब समय आ गया है कि स्वतंत्रता के इन साधनों को संसार के सामने पेश किया जाए। सच्ची स्वतंत्रता तभी मिल सकेगी जब हम किसी देश से अपनी पहचान जोड़ने की जरुरत से भी स्वतंत्र हो जाएंगे। अगर कुछ सौ सालों में, हम एक ऐसा दिन मना सकें कि संसार सारी सीमाओं और भेदों से स्वतंत्र हो जाए, तो वह सही मायनों में एक भव्य स्वतंत्रता होगी अंत में हमारी सुरक्षा के लिए सभी शहीदों को मेरा नमन ... श्रदांजली, पुष्पांजली
हमे आजादी दिलाने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानी को नमन
लेखक - उत्तम जैन (विद्रोही )
संपादक - विद्रोही आवाज
संस्थापक संपादक - जैन वाणी
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Mo- 8460783401
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