कांग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव के लिए 4 दिसंबर को नामांकन हुआ ! राहुल गाँधी पिछले कई माह से कह रहे थे कि वो पार्टी का अध्यक्ष बनने को तैयार हैं ! ओर हुआ
भी यही राहुल गांधी मे विश्वास जताते कोई विरोध नहीं हुआ ! 11 दिसंबर को ही उनके अध्यक्ष बनने का ऐलान कर दिया जाएगा, जो कि नामांकन पत्र वापस लेने की आखिरी तारीख होगी. सोशल मिडिया पर कांग्रेस कार्यसमिति के इस फैसले की खिल्लियां उड़ाई जा रही हैं, क्योंकि सारी दुनिया को पता है कि राहुल गांधी ही कांग्रेस के अगले अध्यक्ष होंगे. उनके खिलाफ खड़े होने की हिम्मत किसी कांग्रेसी में नहीं थी ! पूर्व में गाँधी परिवार के खिलाफ अध्यक्ष पद के लिए खड़े होने वाले जीतेन्द्र प्रसाद और राजेश पायलट का क्या हश्र हुआ, ये सभी कांग्रेसियों को पता है.
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मणिशंकर अय्यर जिन्होने कल देश के प्रधानमंत्री को अपने एक बयान मे नीच जेसा सम्बोधन प्रदान किया उन्ही मणिशंकर अय्यर पिछले महीने हिमाचल प्रदेश में एक बयान दिया था कि कांग्रेस में दो ही अगले अध्यक्ष हो सकते हैं, एक मां और एक बेटा. कांग्रेस में इनका कोई विरोधी ही नहीं तो फिर कोई दूसरा कैसे अध्यक्ष बन सकता है? उनके इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी में आतंरिक लोकतंत्र को लेकर कई लोंगो ने अनेक तरह के सवाल भी उठाए, लेकिन गाँधी परिवार के प्रति कांग्रेसियों के समर्पण के आगे ये सारे सवाल महत्वहीन हो गए.वेसे मणिशंकर अय्यर को अभी मोदी जी पर नीच जेसा आरोप लगाने से कांग्रेस ने बाहर का रास्ता बता दिया !
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही )
प्रधान संपादक - विद्रोही आवाज
मो - 84607 83401
भी यही राहुल गांधी मे विश्वास जताते कोई विरोध नहीं हुआ ! 11 दिसंबर को ही उनके अध्यक्ष बनने का ऐलान कर दिया जाएगा, जो कि नामांकन पत्र वापस लेने की आखिरी तारीख होगी. सोशल मिडिया पर कांग्रेस कार्यसमिति के इस फैसले की खिल्लियां उड़ाई जा रही हैं, क्योंकि सारी दुनिया को पता है कि राहुल गांधी ही कांग्रेस के अगले अध्यक्ष होंगे. उनके खिलाफ खड़े होने की हिम्मत किसी कांग्रेसी में नहीं थी ! पूर्व में गाँधी परिवार के खिलाफ अध्यक्ष पद के लिए खड़े होने वाले जीतेन्द्र प्रसाद और राजेश पायलट का क्या हश्र हुआ, ये सभी कांग्रेसियों को पता है.
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मणिशंकर अय्यर जिन्होने कल देश के प्रधानमंत्री को अपने एक बयान मे नीच जेसा सम्बोधन प्रदान किया उन्ही मणिशंकर अय्यर पिछले महीने हिमाचल प्रदेश में एक बयान दिया था कि कांग्रेस में दो ही अगले अध्यक्ष हो सकते हैं, एक मां और एक बेटा. कांग्रेस में इनका कोई विरोधी ही नहीं तो फिर कोई दूसरा कैसे अध्यक्ष बन सकता है? उनके इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी में आतंरिक लोकतंत्र को लेकर कई लोंगो ने अनेक तरह के सवाल भी उठाए, लेकिन गाँधी परिवार के प्रति कांग्रेसियों के समर्पण के आगे ये सारे सवाल महत्वहीन हो गए.वेसे मणिशंकर अय्यर को अभी मोदी जी पर नीच जेसा आरोप लगाने से कांग्रेस ने बाहर का रास्ता बता दिया !
कांग्रेस पार्टी में गाँधी परिवार के राजतंत्र को फ़िलहाल कोई चुनौती नहीं दे सकता है, क्योंकि मोदी की सुनामी में डूबते हुए जहाज सरीखी कांग्रेस पार्टी के खेवनहार आज भी गाँधी परिवार ही है. कांग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव के लिए किया जा रहा सारा चुनावी ड्रामा देश और दुनिया को महज यह दिखाने के लिये है कि कॉंग्रेस भी एक लोकतांत्रिक पार्टी है.
राहुल गांधी के समर्थन में पार्टी के कई दिग्गज नेता काफी समय से बोलते रहे हैं और उनको अध्यक्ष बनाए जाने की मांग करते रहे हैं. इसलिए राहुल गाँधी को कोई कांग्रेसी नेता अध्यक्ष पद के चुनाव में चुनौती देगा, ऐसा संभव तो पूर्व मे संभव ही नहीं था . उनका निर्विरोध चुना जाना तय था
यहाँ तक कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र दिखाने के लिए अगर चुनाव होता भी तब भी उनका अध्यक्ष बनना तय था. सोशल मिडिया पर एक सवाल उठाया जा रहा है कि कांग्रेस यदि राष्ट्रध्यक्ष (राष्ट्रपति) पद के लिए मीरा कुमार जैसे वरिष्ठ नेता को खड़ा कर सकती थी ऐसे सवालों का दरअसल एक ही जबाब है कि कांग्रेस को गाँधी परिवार की वैशाखी के सहारे ही आगे बढ़ने की बुरी लत लग चुकी है, जो छूटने वाली नहीं.
राहुल गाँधी के नेतृत्व को चुनौती देने की हिम्मत फ़िलहाल किसी कांग्रेसी नेता में नहीं, इसलिए यह तय माना जा रहा है कि अब अध्यक्ष पद पर उनकी ताजपोशी पूरे धूमधाम से होगी. इस राजनितिक ड्रामे से गुजरात के चुनावों में लाभ उठाने की भरपूर कोशिश भी की गयी. हिमाचल और गुजरात के चुनाव में पार्टी की जीत हुई तो राहुल गाँधी की वाह वाह और हार हुई तो बलि के बकरे तलाश लिए जाएंगे यानि इसकी जिम्मेदारी स्थानीय नेताओं के मत्थे मढ़ दी जाएगी. कांग्रेस अपने अब तक के राजनीतिक इतिहास में इतना बुरा दौर कभी नहीं देखी है.
कभी केंद्र के साथ साथ अधिकतर राज्यों में भी उसी की हुकूमत चलती थी और आज ये आलम है कि केंद्र की सत्ता से तो वो कोसो दूर है ही, कुछ छोटे राज्यों सहित पंजाब और कर्नाटक जैसे बड़े राज्य में ही उसकी सत्ता सिमट के रह गई है. राहुल गांधी को कांग्रेस की खिसकी हुई राजनीतिक जमीन वापस दिलाने के लिए मोदी जैसी लोकप्रिय शख्सियत से जूझना आसान नहीं होगा.
अब ये तो तय है कि कांग्रेस में अब राहुल युग की शुरुआत होगी. अध्यक्ष बनकर चुनाव हारते जाने पर राहुल गांधी के खिलाफ पार्टी के भीतर भी कई तरह की चुनौतियां पैदा होंगी. पिछले साढ़े तीन साल में मात्र पंजाब का चुनाव जीतने वाली कांग्रेस के समक्ष आज कई तरह की चुनौतियां हैं. देखें अब राहुल गांधी इन सबसे कैसे निपटते हैं? सबसे बड़ी चुनौती देश-विदेश भर में मोदी के बढ़ते हुए तिलिस्म को तोड़ना है, जो कि आसान नहीं है.
दूसरी तरफ भाजपा के अध्यक्ष और आधुनिक राजनीति के चाणक्य अमित शाह की अकाट्य राजनीतिक कूटनीति की भी काट उन्हें ढूंढनी होगी, वो भी सरल नहीं है. सोशल मीडिया पर लोग मजे ले रहे हैं कि राहुल गांधी अब जल्दी से शादी कर लें, नहीं तो अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र की तरह कांग्रेस राजवंश के अंतिम बादशाह साबित होंगे. अजीब इत्तेफाक है कि दिल्ली की मुग़ल सल्तनत जब बेहद कमजोर हो गई थी, तब बहादुर शाह ज़फ़र सम्राट बने थे. आज के समय में देशभर में कांग्रेस की स्थिति भी वही है. लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही )
प्रधान संपादक - विद्रोही आवाज
मो - 84607 83401
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