Thursday, 28 December 2017

राजनेता व घोटाले एक दूसरो का संबंध

राजनेताओं को देश के अंदर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी गयी है जिससे कि हर राजनेता देश के लिए अच्छा करेगा, देश का हर नागरिक यही सोचता है कि ये राजनेता समाज के साथ-साथ देश का भी विकास करेंगे। भारत का नाम विश्व के मानचित्र पर दमदार तरीके से रखेंगें ,लेकिन दो-तीन दशकों से देश में लूटतंत्र का जाल इस कदर फैल गया कि देश का विकास आगे जाने के बजाय पीछे चल रहा है, कारण वही घोटालों का जांच करने में सिस्टम का व्यस्त रहना, जिस प्रकार से देश के अंदर घोटालों का दौर शुरू हुआ इसमें हमारी जांच एजेंसियों सहित न्याय का मंदिर भी न्याय देने में जूझ रहा है। एक-एक घोटालों की जांच करता-करता आज न्यायालय पर भी काफी बोझ पड़ गया है। एक घोटाले की जांच पूरी हो नहीं पाती तब तक दूसरा खड़ा, तीसरा खड़ा और इस प्रकार बीसों की संख्या में मुकदमें पंजीकृत हो जाते है। देश के जिम्मेदार पद पर बैठे नेता रातों-रात धनी होने के चक्कर में इतना तगड़ा घोटाला करते है कि वह सुर्खियों में आ जाते है फिर उनके ऊपर केस दर्ज हो जाता है, यह केस न्याय की धीमी रफ्तार के कारण एक से दो दशक या इससे भी ज्यादा समय में फैसला दे पाते है वह भी कोई जरूरी नहीं है कि दोषी को अपराधी घोषित किया ही जाय वह बा-इज्जत बरी भी हो सकता है। इसका तात्पर्य यह है कि वह कि जितने का घोटाला नहीं उससे ज्यादा खर्च इस न्याय प्रक्रिया के संचालन पर खर्च हो जाते है,ऊपर से समय का नुकसान। अगर बड़े तबके के राजनेतायो को आखिरकार छूट मिल ही जाती है, क्योकिं न्याय में भी उनकी पहुँच ऊपर तक होती है।ये राजनेता जितना घोटाला करते है अगर ये पंडित लाल बहादुर शास्त्री से सीखते तो काश!आज भारत की आर्थिक विकास दर कुछ और ही कहती, लेकिन ये लोग देश के बारे में कम सोचते है जबकि अपने बारे में ज्यादा। यही कारण है कि देश की अदालतें फैसला कम तारीख ही ज्यादा देती है और हमारा सिस्टम तारीख़ पर तारीख़ ही लेकर खुश रहता है।आज देश के अंदर देखा जाय तो इतने घोटाले हो चुके है कि इनको अंगुली पर गिनना ही बहुत मुश्किल है, फिर भी इतने घोटालों के बाद भी देश चल रहा है और यहां की जनता इन नेतायों को झेल रही है जबकि ऐसे नेतायों को राजनीति में नही रहने देना चाहिए जो देश की कमर तोड़ने में लगे पड़े है।।

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