भारत ओर पाकिस्तान के बीच हाल का तनाव 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले के बाद उपजा है जिसमे हमे अपने 40 निर्दोष जवानों को खो दिया .. इस समय दोनो देशों मे तनाव चरम पर है ओर एक मिनी युद्द की आशंकाऐ बरकरार है हालांकि अभिनंदन की रिहाई से जंग के आसार थोडे धुंधले पडे है .. लेकिन सवाल यह उठता है कि पुलवामा के 40 जवानों की शहादत क्या एक अभिनंदन की वापसी से संघर्ष विराम के रुप मे व्यय॔ चली जाएगी ? क्या एक दज॔न मिराज से 1 हजार किलो के बम गिराकर हम पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से मुक्ति मिल गयी है ? क्या कश्मीर मे मिराज विमानों का यह हमला शांति ले आयेगा ? क्या मिराज का POK मे हमला पत्थरबाजो को शांत कर देगा ? ऐसे कई सवाल है जिनका जवाब अभी अनिश्चितताओ मे भंवर मे उलझा हुआ है .. दरअसल मेरा मानना है कि नरेंद्र मोदी अगर अभिनंदन की रिहाई मात्र को अपनी कूटनीतिक जीत मानकर खुश होकर चुप बैठते है तो शायद मोदी गलती कर रहे है ठीक उसी तरह की गलती जैसी गलतीया पंडित जवाहर लाल नेहरु ; स्वर्गीय इंदिरा गांधी एंव अटलजी ने की थी .. पहले आपको नेहरु ; इंदिरा एंव अटलजी की जाने अनजाने मे हुई गलतीयो का स्मरण करवाना चाहता हूं .. दरअसल 1947 मे जब पाकिस्तान की फोज श्रीनगर के बाहरी इलाके तक पहुंच गयी थी तब वहां के तत्कालीन राजा हरिसिंह ने कश्मीर का विलय भारत मे करने का एलान किया था .. भारत की सेना ने विलय के बाद रिएक्शन की ओर पाकिस्तान की सेना को खदेड़ना शुरु किया .. करीब 45% कश्मीर को जब भारतीय सेना अपने कब्जे मे ले चुकी थी तब भारतीय सेना ने महज 3 दिन ओर नेहरु से मांगे थे कि हम 3 दिन मे शेष 55% कश्मीर भी कब्जे मे ले लेंगे लेकिन पंडित नेहरु एक गलती कर गये .. विश्व नेता बनने की चाह मे वह कश्मीर का मसला सयुक्त राष्ट्र संघ मे ले गये जहां स्टे यानी नियमानुसार यथास्थिति बहाल करने के आदेश दिए गये नतीजा भारतीय सेना को वही रुक जाना पडा ओर 55% पाकिस्तान बिना भारत के कब्जे मे आये रह गया जिसे आज हम पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहते है यानी पीओके .. नेहरु की यही गलती आज सामरिक तोर पर भारत पर भारी पड रही है क्योकि इसी पीओके से पाकिस्तान आतंकीयों के ट्रेनिंग कैप ओर उनके लांच पैड तैयार कर घुसपैठ करवाता है क्योकि भूगोल उसे सुट करता है .. दुसरी गलती स्वर्गीय इंदिरा जी से हुई थी 1971 मे हुई जंग भारत ने एक पखवाडे मे ही जीत ली ओर पाकिस्तान के दो टुकड़े होकर बांग्लादेश का उदय हुआ था ओर पाकिस्तान के 90 हजार सैनिक जनरल नियाजी के नेतृत्व मे भारतीय सैनिकों के समक्ष सरेंडर कर चुके थे ओर पाकिस्तान को शिमला मे इंदिरा गांधी के साथ बैठकर गिडगिडाकर युद्द समाप्ति करनी पडी थी जिसे शिमला समझोता कहा जाता है इसमे यह तय हुआ था कि दोनो देश अपने सभी मसले आपसी बातचीत से हल करेंगे .. लेकिन इंदिरा जी यहा फिर गलती कर गयी उन्होंने पीओके वापिस लिए बिना 90 हजार सैनिक छोड दिए ओर भारतीय सैनिकों को पाकिस्तान से लोटने का आदेश दे दिया .. यह दो बडी गलतियाँ थी तीसरी गलती थोडी छोटी थी लेकिन सामरिक तोर पर गंभीर थी ..अटलजी के समय कारगिल - बटालिक की पहाड़ियों से भारतीय सेना नीचे उतर आई ओर गरमी मे जब वापिस जाने को हुई तो पता चला कि वहां पाकिस्तानी फोज बैठी है नतीजा कारगिल वार हुई ओर फिर कारगिल ओर बटालिक की पहाड़ियों को खाली करवाया गया ..इसके पहले अटलजी पाकिस्तान पर भरोसा कर शांति का पैगाम लेकर लाहोर बस लेकर गये थे बदले मे कारगिल मिला .. दरअसल कहने का आशय यह है कि जिस पाकिस्तान की पैदाइश की झूठ ओर नफरत से हुई है जिनका डीएनए ही भारत विरोध का है उन पर हमारी सरकारें भरोसा ही क्यो करे ? ओर हम अपनी रक्षा तैयारीया पाकिस्तान को देखकर करने की बजाय हम चीन को देखकर अपनी तैयारियां करे! अब सवाल उठता है कि कश्मीर मे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ओर अलगाववादी भावनाओ का क्या करे ? मै पीएम मोदी से एक सवाल करना चाहता हूं तिब्बत मे चीन ने जो किया क्या वह कश्मीर मे नही कर सकते ? आज तिब्बत पर कोई चुं नही बोलता .. तिब्बत की घेराबंदी चीन ने इतनी सख्ती से कर रखी है मुझे समझ नही आता कि कश्मीर मे इंटरनेट की सुविधा क्यो दी गयी है ? अलगाववादी नेताओ को सुरक्षा क्यो थी ? नजरबंदी कश्मीर मे क्यो सीधे अंडमान की जेल क्यो नही ? सब जानते है कि लातो के भुत बातो से नही मानते फिर क्यो बातों से मनाने की कोशिश करते हो ? एक ही फार्मूला है पीओके से लगने वाली सीमा पर एक साल के अंदर विज्ञान ओर तकनीक की मदद से सुरक्षा वाल बनाई जाऐ ओर सेना बैरकों से निकाल कर कश्मीर मे लगाकर LOC को वार जोन मानकर एक आपरेशन क्लीन चलाया जाये .. लोकतंत्र गया भाड मे ..देशी ओर विदेशी मीडिया पर प्रतिबंध लगाओ ओर कोई कारवाई की Live रिपोर्टिंग सिर्फ डीडी न्यूज करेगा ऐसा कानून बनाया जाये ..कश्मीर पर बहस टीवी पर बंद हो ..ओर बात अब पाकिस्तान की तो पहले हम अपने घर को इतना मजबूत करे कि कोई पडोसी हम पर चोरी छिपे घुसकर ना मार सके ओर उसके बाद अगर कोई देश ऐसी हिमाकत करे तो सुखोई ओर रफाल से जवाब दीजिए ओर मिसाइल से आतंकियो के अड्डे उडाना शुरु करो तब जाकर अक्ल आयेगी .. लेकिन ऐसा ना कर केवल अभिनंदन की रिहाई ओर 12 मिराज पीओके भेजकर अगर आप खामोश बैठ जाओगे मोदीजी तो शायद आपको भी आने वाली पीढिया नेहरु की तरह कोसेंगी ओर माफ नही करेगी क्योकि इससे बेहतर मोका ओर हालात देश ओर आपको फिर कभी शायद ही मिलेंगे क्योकि सभी जानते है इस समय पाकिस्तान कंगाल है उसकी फोज कह चुकी है कि 6 दिन से ज्यादा वह भारत से नही लड पाऐगी .. पाकिस्तान पूरी दुनिया मे अलग थलग पडा है यहां तक की चीन ओर इस्लामिक देश तक पाकिस्तान के साथ नही है .. भारत एक सर्जिकल स्ट्राइक ओर एक एयर स्ट्राइक के जरिऐ अभी बढत मे है .. देश का जनमानस ओर राजनीतिक दल भी सरकार के साथ खडे है सेना तैयार है देश एकजुट होकर पाकिस्तान को स्थाई सबक सिखाने के पक्ष मे है अगर आपने कर दिखाया तो चुनाव सामने है जन आशीर्वाद आपको मिलेगा ..लेकिन ऐसा मोदी नही कर पाए तो चाहे बाते कितनी भी बडी बडी कर ले जनता मे वह सम्मान नही पा सकेंगे जिसे पाने का उनके पास मोका है .. मै नाजीवाद के उस कोटेशन का उल्लेख करना चाहता हूं कि युद्द ही लंबे शांतिकाल के लिए बेहतर उपाय है ..ओर बात जब देश के सम्मान - गोरव ओर स्वाभिमान की आये तो फिर शांति की बाते करना बेमानी है आप डरे हुऐ इमरान की बातो के जाल मे मत फंसिंऐ .. भारत मे भले तथाकथित बुद्धिजीवियों को इमरान की बाते पसंद आई हो .. संभव है कि भारत से इमरान को शांति का नोबल देने की मांग उठे लेकिन मै यह मानता हूं कि इमरान की बाते केवल ओर केवल जंग से डरे एक प्रधानमंत्री की लफ्फाजी है ..।
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