ट्विंकल की हत्या के अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाकर सरकार जनता की भावना समझे कानून मे संशोधन कर के सरकार कड़े कानून ही न बनाकर प्रयास करे की इस तरह के मामले मे जल्दी सजा मिले
अलीगढ़ में ढाई साल की बच्ची की नृशंस और अमानवीय हत्या ने पूरे भारत में जबरदस्त कोहराम मचा दिया है हमेशा की तरह राजनेताओं और बॉलीवुड हस्तियों ने भी इसकी निंदा की है शोशल मीडिया पर आम जनता का जबरदस्त गुस्सा देखा जा रहा है हर व्यक्ति चाहता है इस जघन्य अपराध को अंजाम देनेवाले अपराधियों के लिए कठोर सजा जल्द दे जल्द मिले ! इस मामले में जाहिद और असलम नाम के दो शख्स को गिरफ्तार किया गया है। इस हत्याकांड को लेकर सोशल मीडिया पर व्यापक आक्रोश फैलने के बाद पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया और हत्या की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है। अब तक, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न का कोई संकेत नहीं मिला है, लेकिन जिस भयानक तरीके से इस अपराध को अंजाम दिया गया था, वह बेहद निंदनीय है !
जिस क्रूरता से मारा गया, उसके बारे में क्या कहा जाए.. मेरे अपनी भावना व्यक्त करने के लिए व मन की पीड़ा लिखने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। ये समझ से बाहर है कि कोई इंसान इतनी छोटी फूल सी बच्ची को इस तरह से तड़पाकर कैसे मार सकता है? जिन अपराधियों ने ये काम किया वो इंसान नहीं हो सकते और ऐसे हैवानों को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। इस केस के आरोपियों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चलना चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द मौत की सजा दी जानी चाहिए। मोदी सरकार पूर्ण बहुमत की सरकार है जल्दी ही ऐसा कानून पास करे ओर इस तरह की हत्या की सुनवाई 15-30 दिनो मे कर के सजा ऐ मोत से कम सजा न हो
पूर्व मे निर्भया के यौन उत्पीड़न पर पूरे देश में गुस्सा था, उसके प्राइवेट पार्ट्स को काट दिया गया और उसे सड़क पर फेंक दिया गया। वह जिंदगी के लिए संघर्ष करती रही और आखिरकार उसकी मौत गई।
अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए हजारों लोग देश की सड़कों पर निकले। यौन उत्पीड़न पर कानून पूरी तरह से बदल दिया गया था और बहुत कड़ी सजा निर्धारित की गई थी, लेकिन यह बेहद दुखद है कि निर्भया मामले के गुनहगार दिल्ली की तिहाड़ जेल में जिंदा हैं, उन्हें अभी तक फांसी पर नहीं लटकाया गया है। क्यू ? मन मे एक पीड़ा है क्या हम, हमारी सरकार या हमारी न्यायप्रणाली इतनी सक्षम नही है ?
दरिंदों को हम जल्दी सजा देकर यह संदेश दे सके की आगे कोई दरिंदा इस तरह की हरकत करने से पहले खुद अंजाम से कांप उठे ! मैं यहां एक बात ओर कहना चाहता हूं। इस बच्ची के साथ क्रूरता को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम तरह के मैसेज वायरल किए जा रहे हैं। कई लोगों ने जम्मू के पास कठुआ में एक बच्ची के साथ हुए बलात्कार और हत्या की घटना के साथ अलीगढ़ की इस घटना की तुलना करते हुए भड़काऊ संदेश प्रसारित किया है। इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है। बच्ची की हत्या हो या रेप जैसी घिनौनी वारदात हो, इस तरह की हरकतें करनेवालों का कोई मजहब नहीं होता।
ऐसी हरकतें करनेवाला सिर्फ जघन्य अपराधी होता है और उसे उसके गुनाह की सजा मिलनी चाहिए। लेकिन जो लोग पीड़ित की तस्वीर का उपयोग करके और अपराधियों का नाम लेकर सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल कर रहे हैं, वे लोगों को उकसाने के लिए समान रूप से दोषी हैं और वे सामाजिक वैमनस्य पैदा करते हैं। सरकार को ऐसे लोगों की पहचान करनी चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। धर्म के नाम पर लोगों को उकसाना और सभ्य समाज में सांप्रदायिक ज़हर घोलना अपराध है। हमे चाहिए इसे सांप्रदायिक रंग न देकर बच्ची को न्याय मिले ओर हत्यारो को मोत की सजा मिले कानून मे संशोधन कर के सरकार कड़े कानून ही न बनाकर प्रयास करे की इस तरह के मामले मे जल्दी सजा मिले
लेखक- उत्तम जैन ( विद्रोही )
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