Saturday, 1 June 2019

मोदी जी को दूसरे कार्यकाल मे समस्याओं का ढूंढना होगा समाधान तब होगा जनादेश का सन्मान


नरेंद्र मोदी जी  ने 30 मई, 2019 की शाम भारत के नए प्रधानमंत्री पद के दूसरे कार्यकाल के रूप में शपथ ली. मंत्रिमंडल के गठन  इसमें अनुभव, विशेषज्ञता और उच्च प्रदर्शन के साथ-साथ उन्होंने अपने मन में निर्धारित किए गए लक्ष्यों को पूरा करने  का खास ख्याल रखा है. पीएम मोदी जानते हैं कि अगर देश के करोड़ों मतदाताओं ने उनकी कार्यशैली और योजनाओं पर अपनी मुहर लगाई है, तो आगे उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती होगी,
केंद्रीय गृह और विदेश मंत्रालय को आंतरिक और बाह्य सुरक्षा सुदृढ़ व सुनिश्चित करने के लिए एकरस होकर काम करना होगा ताकि भारत के राष्ट्रीय हितों की अनदेखी न होने पाए. पीएम मोदी इन आसन्न चुनौतियों और लक्ष्यों से भली-भांति वाकिफ हैं. इसीलिए उन्होंने तमाम कयासों से परे विभिन्न विभागों के मंत्री चुने हैं. वे प्रचंड जीत के नशे का नफा-नुकसान भी समझते हैं. इसीलिए दूसरे कार्यकाल का श्रीगणेश करने से पूर्व उन्होंने संसद के सेंट्रल हॉल में नवनिर्वाचित एनडीए सांसदों को संबोधित करते हुए यह स्पष्ट करने की कोशिश की थी कि अगर सेवा भाव चला गया तो मतदाता अपने दिल से दूर कर देंगे. इसलिए अब पीएम मोदी को सबसे पहले जिन मोर्चों पर डटना है, उनमें शामिल हैं युवा, महिला, दलित, आदिवासी और किसान-मजदूर वर्ग की मुश्किलों का हल खोजना. क्योंकि इन्हीं वर्गों ने पीएम मोदी पर अपना अटूट विश्वास जाहिर किया है.

मोदी जी ने अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने की जरूरत बताई है और अपने सांसदों से कहा है कि अल्पसंख्यकों को कथित भय के छल से निकालकर उन्हें साथ लेकर चलना होगा. सबका साथ सबका विकास के नारे में इस बार उन्होंने सबका विश्वास भी जोड़ दिया है. लेकिन इसके साथ-साथ पीएम मोदी को सरकारी योजनाओं के जरिए अल्पसंख्यकों की शिक्षा और रोजगार की समस्याएं भी हल करनी होगी. तभी इस नारे की कोई सार्थकता दिखेगी और लोगों का विश्वास हासिल होगा. उन्हें शिक्षा के तीर्थों को भी बाहरी राजनीतिक दबावों से मुक्त करना होगा. एक स्थिर सरकार लेकर आए नरेंद्र मोदी ने जिस तरह सेंट्रल हॉल में संविधान के सामने और शपथ ग्रहण के बाद महात्मा गांधी की प्रतिमा और वॉर मेमोरियल पर सिर झुकाया वह कड़ा संदेश देता है कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए संविधान के आदर्शों और राष्ट्रपिता के पदचिह्नों पर ही चलेगा. और अगर नहीं चलेगा तो हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और वाली कहावत ही सिद्ध होगी.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को देश में व्यापार करना आसान बनाने वाले भरोसेमंद कदम उठाने होंगे, साथ ही साथ घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आयात शुल्क में कमी लानी होगी. स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप के नियमों को सरल बनाना होगा.देश की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने वाले वित्त मंत्रालय के सामने वित्तीय संकट से जूझ रहे बैंकों को मजबूत करने की चुनौती है. उसे सिस्टम में ज्यादा से ज्यादा नकदी उपलब्ध कराने के तरीकों पर फैसला करना होगा और राजकोषीय घाटा संतुलित करते हुए जीडीपी की विकास दर में तेजी लानी होगी. लंबित रणनीतिक विनिवेश को फिर से शुरू करना होगा और हाई प्रोफाइल टैक्स चोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी.
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही ) 


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