Thursday, 26 July 2018

गुरु पुर्णिमा ओर गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी - उत्तम जैन ( विद्रोही )

गुरु पुर्णिमा के अवसर पर गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी के चरणों मे कोटिश वंदन


संस्कार की सान पर, गुरु धरता है धार।
नीर-क्षीर सम शिष्य के, कर आचार-विचार।।
माटी से मूरत गढ़े, महाश्रमण गुरु फूंके प्राण।
कर अपूर्ण को पूर्ण गुरु, भव से देता त्राण।।
माता पिता की सेवा करना संतान का धर्म है उसकी महिमा शास्त्रो मे विस्तार पूर्वक कही गयी है ! पर गुरु की महत्ता उनसे भी बड़ी है क्यू की माता पिता शरीर को जन्म देते है शरीर का रक्षण व पोषण करते है परंतु गुरु द्वारा आत्मा का विकास, कल्याण व बंधन मुक्ति का जो महान कार्य किया जाता है उसकी महत्ता शरीर के रक्षण व पोषण से असंख्य गुना अधिक है ! मेरे जीवन मे शिक्षा गुरु , आध्यात्म गुरु का बहुत अधिक महत्व है क्यू की शिक्षा गुरु ने जन्म देने माता पिता के सपनों को साकार करने के काबिल बनाया तो अध्यात्म गुरु ने सपनों को साकार करने के साथ संयम , अहिंसा व जीवन को सही मायने मे जीने का मार्ग बताया आज मुझे स्वयम पर गर्व होता है मुझे मेरे जीवन मे तीन तीन गुरु के दर्शन व सानिध्य प्राप्त हुआ ! आचार्य श्री तुलसी , आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ओर वर्तमान मे आचार्य श्री महाश्रमण !
आज मेरे गुरु जिन पर गर्व होता है जो हर जाति, वर्ग, क्षेत्र और सम्प्रदाय का सामान्य से सामान्य व्यक्ति हो या कोई विशिष्ट व्यक्ति हो- सभी में विशिष्ट गुण खोज लेने की दृष्टि आचार्य महाश्रमण में है। गुणों के आधार से, विश्वास और प्रेम के आधार से व्यक्तियों में छिपे सद्गुणों को वे पुष्प में से मधु की भांति संचित कर लेते हैं। परस्पर एक-दूसरे के गुणों को देखते हुए, खोजते हुए उनको बढ़ाते चले जाना आचार्य महाश्रमण के विश्व मानव या वसुधैव कुटुम्बकम् के दर्शन का द्योतक है। जीवन मे सदेव गुरुदेव आचार्य महाश्रमण जी का आशीर्वाद मिलता रहे ! उनके बताए मार्ग की ओर हम सदा चलते रहे तभी हमारा गुरु पुर्णिमा मनाना सार्थक होगा !
गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी के चरणों मे कोटिश वंदन
उत्तम जैन ( विद्रोही )
मो -8460783401          

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