Thursday 26 July 2018

अशांत मन से बनाया खाना हो माँ का दूध हो जाता है जहर अगर ...

मां का दूध हो जाता है जहर............. 

आयुर्वेद में बहुत ही स्पष्ट निर्देश हैं कि मां जब क्रोध में हो, अपने बच्चों को दूध न पिलाए। कभी-कभी क्रोध की तीव्रता इतनी भयानक हो सकती है कि उस समय दुग्ध-पान कराने से बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। मां का अमृत समान दूध भी क्रोध के समय जहर हो जाता है। एक बार मे किसी रिश्तेदार के यंहा गया हुआ था भोजन बहुत ही अच्छा बना था,लेकिन मेने दो ग्रास ही खाए कि मुझे उबाके आने लगे और उल्टी हो गई। मेने रिश्तेदार  को पूछा आपके यहां भोजन कौन बना रहा है। रिश्तेदार  ने बताया कि हमारी बहू खाना बना रही है। मेने कहा कि जरूर आपकी बहू का चित्त शान्त नहीं है,हो सकता है कि सास-बहू में कुछ कहासुनी हुई हो। रिश्तेदार को यह बात नागंवार लगी और वह तुरन्त रसोईघर में गए, देखा बहू खाना तो बना रही है, लेकिन रोते हुए। रिश्तेदार हक्के-बक्के रह गए। भोजन बनाने में और खिलाने में मातृत्व भाव,करुणा, स्नेह, प्रेम, वात्सल्य और उदारता,प्रसन्नता का भाव रहना चाहिए। बोझ या मजबूरी मानकर कभी किसी को भोजन पर आमंत्रित मत करिए। मन में क्लेश के रहते भोजन न पकाएं। आप जो भोजन कर रहे हैं, उसके लिए आपने किस प्रकार धनार्जन किया है, इसका भी उस भोजन और भोजन ग्रहण करने वाले पर गहरा असर होता है।
उत्तम जैन ( विद्रोही ) 

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