Tuesday, 20 February 2018

एक विचारणीय विषय - नीरव मोदी को नीरव मोदी बनाने मे किसका हाथ

हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ देश  के एक पंजाब नेशनल  बैंक में 11400 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। लोग अभी ठीक से समझ भी नहीं पाए थे कि हीरों का व्यवसाय करने वाले नीरव मोदी ने इतनी बड़ी रकम के घोटाले को अंजाम कैसे दिया कि रोटोमैक पेन कम्पनी के मालिक विक्रम कोठारी के भी 5 सरकारी बैंकों के लगभग 500 करोड़ का लोन लेकर फरार होने की खबरें आने लगीं हैं। हो सकता है कि आने वाले दिनों में ऐसे कुछ और मामले सामने आएँ। क्योंकि कुछ समय पहले तक बैंकों में केवल खाते होते थे जिनमें पारदर्शिता की कोई गुंजाइश नहीं थी और ई बैंकिंग तथा कोर बैंकिंग न होने से जानकारियाँ भी बाहर नहीं आ पाती थीं।
ऐसा नहीं है कि देश के किसी बैंक में कोई घोटाला पहली बार हुआ हो। नोटबंदी के दौरान बैंकों में जो हुआ वो किसी से छिपा नहीं है, आम आदमी बाहर लाइनों में खड़ा रहा और अन्दर से लेने वाले नोट बदल कर ले गए।
इसी प्रकार किसी आम आदमी या फिर किसी छोटे मोटे कर्जदार के कर्ज न चुका पाने की स्थिति में बैंक उसकी सम्पत्ति तक जब्त करके अपनी रकम वसूल लेते हैं लेकिन बड़े बड़े पूंजीपति घरानों के बैंक से कर्ज लेने और उसे नहीं चुकाने के बावजूद उन्हें नए कर्ज पर कर्ज देते  जाते हैं। नीरव मोदी के मामले में, पीएनबी जो कि कोई छोटा मोटा नहीं देश का दूसरे नम्बर का बैंक है, ने भी कुछ ऐसा ही किया। नहीं तो क्या कारण है कि 2011 से नीरव मोदी को पीएनबी से बिना किसी गैरेन्टी के गैरकानूनी तरीके से बिना बैंक के साफ्टवेयर में  एन्ट्री  करे लेटर आँफ अन्डरटेकिंग (एलओयू) जारी होते गए  और इन 7 सालों से जनवरी 2018  तक यह बात पीएनबी के किसी भी अधिकारी या आरबीआई की जानकारी में नहीं आई? हर साल बैंकों में होने वाले ऑडिट और उसके बाद जारी होने वाली ऑडिट रिपोर्ट इस फर्जीवाड़े को क्यों नहीं पकड़ पाई? क्यों इतने बड़े बैंक के किसी भी छोटे या बड़े अधिकारी ने इस बात पर गौर नहीं किया कि हर साल बैंक से एलओयू के जरिये इतनी बड़ी रकम जा तो रही है लेकिन आ नहीं रही है? यहाँ  रोचक प्रश्न है   एक या दो एलओयू की नहीं बल्कि 150 एलओयू जारी होने की है। इससे भी अधिक रोचक तथ्य यह है कि एक एलओयू 90- 180 दिनों में एक्सपायर हो जाता है और अगर कोई कर्ज दो साल से अधिक समय में नहीं चुकाया जाता तो बैंक के ऑडिटर्स को उसकी जानकारी दे दी जाती है तो फिर नीरव मोदी के इस केस में ऐसा क्यों नहीं हुआ?  इतना ही नहीं एक बैंक का चीफ विजिलेन्स अधिकारी बैंक की रिपोर्ट बैंक के मैनेजर को नहीं बल्कि भारत के चीफ विजिलेन्स कमिशन को देता है लेकिन इस मामले में किसी भी विजिलेन्स अधिकारी को 7 सालों तक पीएनबी में  कोई गड़बड़ दिखाई क्यों नहीं दी? इसके अलावा हर बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टरस की टीम में एक आरबीआई का अधिकारी भी शामिल होता है लेकिन उन्हें भी इतने साल इस घोटाले की भनक नहीं लगी?  आश्चर्य है कि जनवरी 2018 में यह घोटाला सामने आने से कुछ ही दिन पहले नीरव मोदी को इस खेल के खत्म हो जाने की भनक लग गई जिससे वो और उसके परिवार के लोग एक एक करके देश से बाहर चले गए? लेकिन   सबसे बड़ा सवाल यह है  कि नीरव मोदी को नीरव मोदी बनाने वाला कौन है? क्या कोई किसान या फिर आम आदमी नीरव मोदी बन सकता है?  जवाब तो हम सभी जानते हैं।
ऐसा नहीं है कि हमारे देश के बैंकों में कर्ज देने का  सिस्टम न हो लेकिन कुछ मुठ्ठी भर ताकतों के आगे पूरा सिस्टम ही फेल हो जाता है। जिस प्रकार पीएनबी के तत्कालीन डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी सिंगल विंडो आँपरोटर मनोज खरात को गिरफ्तार किए जाने के बाद यह जानकारी सामने आई है कि पीएनबी के कुछ और अफसरों की मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया, यह स्पष्ट है कि सारे नियम और कानून सब धरे के धरे रह जाते हैं और करने वाले हाथ साफ करके निकल जाते हैं क्योंकि आज तक कितने घोटाले हुए, कितनी जाँचे हुईं, अदालतों में कितने मुकदमे दायर हुए, कितनों के फैसले आए?  कितने पकड़े गए? कितनों को सजा हुई? आज जो नाम नीरव मोदी है कल वो विजय माल्या था। दरअसल आज देश में सिस्टम केवल बैंकों का ही नहीं न्याय व्यवस्था समेत हर विभाग का फेल है इसलिए सिस्टम पस्त लेकिन अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।
जीवन में आगे बढ़ने के लिए शार्ट कट्स को चुनने वाला हर शख्स आज नीरव मोदी बनने के लिए तैयार बैठा है लेकिन जबतक सिस्टम के अन्दर बैठा व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह ईमानदारी से करेगा वो उसे नीरव मोदी नहीं बनने देगा। इसलिए नीरव मोदी जैसे लोग जो इस देश के अपराधी  हैं, उस आम आदमी के गुनाहगार हैं जिनकी गाढ़ी मेहनत की कमाई से इस रकम को वसूला जाएगा, उससे अधिक दोषी तो सिस्टम के भीतर के वो लोग हैं जो नीरव मोदी जैसे लोगों को  बनाते हैं। इसलिए जब तक इन नीरव मोदी के  “निर्माताओं” पर कठोर कार्यवाही नहीं की जाएगी देश में नए चेहरों और नए नामों से और नीरव मोदी पैदा होते रहेंगे।
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही ) 

Tuesday, 13 February 2018

विद्रोही व्यंग्य : वेलेंटाइन डे का सुहाना दिन

 वेलेंटाइन डे  सुहाना दिन गुजरते ही , डरावनी रातों का खौफ महसूस होने लगता है. बन्दा डाउट में रहता है की जिस बंदी को अपना बनाने के लिए उसने अपनी जेब ढीली की, डैडी की जेब काटी, कोचिंग की फ़ीस मारी, क्या ? अगले वेलेंटाइन डे आने तक वो उसके साथ रह पायेगी. क्या सात दिनों का ये प्यार सात महीने सात साल फिर सात जन्मों तक साथ चल पायेगा? ये बात सोच-सोच के बंदा नर्वस हुवा जाता है. उधर बंदियां टेडी और चोकलेट की दुकान खोले बैठी हैं.
चोकलेट डे और टैडी डे पर उनकी चल पड़ी, और उन्होंने एक साथ कईयों को चलाया. लड़कियां रेल, हवाई जहाज , सरकार, प्रशासन  चलाने के साथ-साथ लड़को को बड़ी आसानी से चला लेती हैं. चलाने का उनका ये गुण स्वाभाविक है. बाजार के स्वर्ण मृग वेलेंटाइन के पीछे-पीछे देश के युवा दौड़ रहे हैं. प्यार के बहाने न जाने क्या –क्या बेचा जा रहा है. प्यार बिकाऊ हो गया है. पहले कभी प्यार कीमती हुवा करता था. लोग प्यार में दिल दिया करते थे. अब चोकलेट और टैडी दे रहें हैं. ये जितने महंगे होंगे आपका प्यार उतना पक्का होने की गारंटी है. लेकिन प्यार कितने दिन चलेगा उसकी कोई गारंटी नहीं.
पुराने समय में हमारे बुजुर्ग कहा करते थे और हम सुना करते थे कि “सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था, आज भी है और कल भी रहेगा ”. लेकिन अब कोई सौ साल प्यार नहीं करना चाहता. बड़ी मुश्किल से एक दो महीने तक लोग प्यार झेल पाते हैं. कुछ इमोशनल टाइप के प्रेमी हैं जो प्यार को लम्बे समय तक झेलना चाहते हैं, पर उनका प्यार उनकी जेब नहीं झेल पाती. अब प्यार का मामला दिल का नहीं जेब का है. जेब जितनी मजबूत होगी महोब्बत उतनी गहरी होगी. आजकल प्यार में लोग गा रहे हैं, “कुछ दिन पहले मुझे किसी से प्यार था, आज तुमसे है ,कल किसी और से रहेगा”.मतलब साफ़ है प्यार-प्यार न रहकर चाइनीज गैजेट हो गया है. जो आज चल रहा है सो चल रहा है कल की कोई गारंटी नहीं. मोर्डन लव अल्पमत में बनी सरकार जैसा है जो कभी भी गिर सकता है
उत्तम जैन ( विद्रोही ) 

Friday, 9 February 2018

गाय हमारी माता है ...गो सुरक्षा हमारा कर्तव्य


बचपन मे एक लाइन गुनगुनाते थे गाय हमारी माता है ! सनातन संस्कृति में भारतीय गाय को अत्यंत पूज्य माता माना गया है भारतीय गाय का दूध अनमोल पौष्टिक तत्वों से भरा है ! भारतीय गाय के दूध घी की सुगन्धित स्वर्णिम आभा उसे बहुमूल्य बनाती है !.भारतीय गाय के अतिउपजाऊ गोबर में विशेषतम जीवाणुरोधी तत्व भी होते हैं! हमारी गौ माता के गोबर में घातक विकिरण सोखने की अद्भुत क्षमता भी है ! गौमूत्र में अद्भुत रस रसायन होते हैं ! गौमूत्र आयुर्वेद मे वरदान जैसा है कैंसर गाँठ मोटापे जैसी असाध्य व्याधियों में गौमूत्र अर्क अमृततुल्य औषधि है यद्यपि आम जनजीवन में गौमूत्र का आतंरिक उपयोग सामान्यतः उचित नहीं माना जाता है,… लेकिन …विशेष पीड़ादायक परिस्थितियों में शुद्ध गौमूत्र अर्क का सेवन सर्वथा उचित है ! गौमूत्र गौमय से पुरातन भारतीय कृषि अत्यंत लाभदायक रही है ! मूलतः गाय से ही हम विश्वगुरु और महानतम आर्थिक शक्ति थे !…….गौमूत्र गौमय में मृदा पोषक मित्र जीवाणु प्रचुर मात्र में पाए जाते हैं !……रासायनिक खादों के अधिक उपयोग से हमारी मिट्टी का उपजाऊपन निरंतर कम हो रहा है !….. एक स्थापित सत्य यह है कि,.. आज तमाम खाद पानी रसायन डालकर हम जितना गेंहूं पैदा करते हैं ….तीस चालीस वर्ष पहले हम उतना चना उपजाते थे !……यह गाय माता का चमत्कार है !……….इतना सबकुछ होने के बावजूद आज भारतीय गायों की दशा शोचनीय है !…

गायों की दुर्दशा का मुख्य कारण हमारी अंग्रेजपरस्ती रही है कुटिल अंग्रेजपरस्तों ने भी उत्तम भारतीयता को दबाने मिटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है ! कई भारतीय नस्लें लुप्तप्राय हो गयी जर्सी, संकर फीजियन और अन्य विदेशी प्रजातियों को इतना बढ़ावा दिया गया कि बची देशी नस्लें दर बदर घूमने को विवश हैं !…….हमें यह पता होना चाहिए कि भारतीय गाय की सेवा मालिश से हमारे अवसाद रक्तचाप जैसी व्याधियां स्वतः दूर होती हैं !..
अब मुद्दा यह है कि गाय के सहारे मानवता का विकास कैसे किया जाय !…….इसके लिए हमें सबसे पहले भारतीय गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करना होगा !……गाय के खरीद बिक्री के लिए कारगर व्यवस्था बनानी चाहिए ,………जर्सी जैसे बीमारू विदेशी नस्लों का वीर्य उत्पादन बंद या अत्यंत कम कर देना चाहिए !…….शुद्ध गाय दूध के संचय प्रसंस्करण के लिए विशेष डेयरियाँ बननी चाहिए !……..ग्रामीण क्षेत्रों में यथायोग्य छोटी बड़ी देशी गौशालाएं खोलनी चाहिए !……..इन गौशालाओं से मानवता को दूध दही छाछ घी के साथ सर्वोत्तम खाद तथा जीवाणुनाशक औषधियां मिलेंगी ,……गौमय के समुचित प्रबंधन से हमारा गौधन पुनः अनमोल बनेगा !………स्वाभाविक मृत्यु के बाद भी गाय अत्यंत उपयोगी है ,……प्राचीन समय में गाय के मृत शरीर को हम मिट्टी में कुछ गहरे दबा देते थे ,…दस बारह वर्ष में वह मिट्टी शक्तिशाली खाद में परिवर्तित हो जाती है !……मोटे अनुमान के अनुसार एक गाय के मृत शरीर से प्राप्त खाद एक एकड़ जमीन को तीन चार वर्षों तक पर्याप्त पोषण दे सकती है !….

. वेसे आजकल हम देखते है जगह जगह गोशाला का निर्माण हुआ है एक अच्छा व सराहनिय प्रयास है ! भारतीय गायों के संवर्धन के विशेष प्रयास होने चाहिए ! गाँवों में सामुदायिक भारतीय गौशालाएं खोलने के लिए सरकार को जमीन और ब्याजमुक्त ऋण अनुदान देना चाहिए ! जमीन के अभाव में हम जंगलों का प्रयोग कर सकते हैं !…….गौशालाओं के लिए जंगली जमीन सशर्त पट्टे पर दी जा सकती है !……..न्यूनतम पेड़ उगाने की जिम्मेदारी गौशाला प्रबंधन की होगी !…..हम जंगलों से अधिक मूल्यवान वनस्पतियाँ भी उगा सकते हैं !….

अब बछड़ों की बारी !………अंधमशीनी युग में बैल उपेक्षित हो चुके हैं ,…..गाँवों में बिरले किसान ही अब बैल पालते हैं ,…यद्यपि बैलों की जुताई को सभी एकमत से सर्वश्रेष्ठ मानते हैं ,…लेकिन श्रम की अधिकता और चारे की समस्या से हम बैलों से मुंह मोड़ रहे हैं !…….हम बैलों से अन्य उपयोगी कार्य भी ले सकते हैं ,…..उदहारण स्वरुप …..बैलचालित आटाचक्की मानवता के लिए अत्यंत उपयोगी होगी !….मशीनी आटाचक्की में अनाज के तमाम सूक्ष्म पौष्टिक तत्व जल जाते हैं ,……बैलों से आटा पिसाई यदि पांच गुनी अधिक हो तो भी यह लाभदायक ही होगी !………… बैलपालकों को कुछ प्रोत्साहन राशि भी अवश्य देनी चाहिए !…..

अंततः ,…….भारतीय गाय हमारी आदिम पालक माता है ,……उसके समुचित पालन प्रबंधन प्रयोग से मानवता का बहुत विकास संभावित है …..अनुपयोगी बछड़ों का उपयुक्त उपयोग करने में हमारी भलाई है अनमोल भारतीय गाय के लिए सार्थक पहल सरकार को करनी चाहिए ……सरकार और समाज के समन्वित प्रयासों से हम भारतीय गाय माता को पुनः उसकी आदरणीय गरिमा प्रदान कर सकते हैं !
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही ) 
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