Tuesday, 9 January 2018

तीन तलाक राजनीतिक प्रदूषण की भेंट

मुश्लिम देशों में तीन तलाक को प्रतिबिंबित किया जा चुका है तो भारत जैसे देश में यह प्रतिबंध क्यों नही लागू होना चाहिए ? यह बहुत ही गम्भीर सवाल है जिसका उत्तर शायद सरकार के पास न हो, लेकिन इतना तो तय है कि तीन तलाक को प्रतिबिंबित करने के लिए पिछली सरकारों ने कोई कदम नहीं उठाया क्योकिं उनको सबसे बड़ा डर था कि मुश्लिम वोटों से हाथ न धोना पड़े। उनको मुस्लिम मतदाता के फिसलने का डर सता रहा था और यही वोट की राजनीति ने कई दशकों से मुश्लिम महिलाओं को नर्क जैसा जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिया , अगर यह कानून पहले बन गया होता तो शायद कितनी महिलाएं आज इस नरकीय जिंदगी जीने के लिए बाध्य नहीं होती और इनकी भी जिंदगी खुशहाल होती, लेकिन वोट की राजनीति और धर्म के ठेकेदारों ने ऐसा होने नहीं दिया, और इनकी प्रदूषित राजनीति में पचढ़े में फस कर रह गया। 
आज मुश्लिम महिलायों को तीन तलाक की पीड़ा जो पुरुषों के द्वारा दी जाती है उसको झेलना हर महिला के वश की बात नहीं, यह एक ऐसी पीड़ा है जो सांस रहते ही मृत के समान कर देता है। तलाक का दंश इतना खतरनाक है कि इसकी पीड़ा वही बता सकता है जो इस दौर से गुजर रहा हो, यही कारण है कि आज मुस्लिम महिलाएं भारत सरकार के कानून का पुरजोर समर्थन कर रही है लेकिन कुछ मुस्लिम धर्मगुरु और राजनेता इस कानून का विरोध कर रहे है।इसमें भी उनका स्वार्थ छिपा पड़ा है जो राजनीतिक रोटी सेंकने के चक्कर में है।मुश्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 को लोक सभा ने जिस प्रकार से पास कर दिया, यह राज्यसभा में पास होने के बाद यह राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही कानून बन जाता लेकिन जिस प्रकार से राज्यसभा में राजनीति शुरू हो गयी यह बहुत ही दुखद है कि इस बिल को राजनीति की भेंट चढ़ा दिया गया। इसको राज्यसभा में पास होने से रोक कर विपक्ष ने इतना तो बता दिया कि हम मुस्लिम वोट की राजनीति करते है तभी इस बिल का विरोध कर रहे है जिससे कि मुस्लिम मतदाता नाराज न हो। इस कानून के बन जाने से एक साथ तीन तलाक देने वालों के लिए यह काफी भारी पड़ जाता,जिसमें तीन साल का कारावास का प्रावधान है। इस कानून को राज्यसभा में सभी विपक्ष दल के विरोध से यह विधेयक कानून का शक्ल नहीं ले पाया। इसके कानून बनने के साथ ही महिलायों के साथ वर्षो से चला आ रहा शोषण का चक्र विराम कर जाता लेकिन विपक्ष की प्रदूषित राजनीति के भेंट चढ़ गया तीन तलाक का मामला। 

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