उत्तम जैन (विद्रोही ) संपादक - विद्रोही आवाज |
सूरत जेसे शहर में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। सूरत की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है।सूरत शहर मे प्रदूषण इस कदर बढ़ गया है लोगो को आंखो मे जलन के साथ श्वास लेना मुश्किल हो रहा है ! आज सुबह 6 बजे सुबह टहलने निकला स्वयम ने अनुभव किया आंखो मे जलन व खांसी गले मे जलन के साथ महसूस हो रही है ! इस प्रदूषण से फेफड़े खराब होने व श्वास नली मे इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ेगा अस्थमा ,टीबी, ह्रदय रोग ज्यादा होने की आशंका प्रबल है समय रहते महानगर पालिका , राज्य सरकार व गुजरात पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ध्यान देने की जरूरत है अन्यथा इसके परिणाम घातक आने की संभावना है ! जीआईडीसी जो शहर से जुड़ी हुई है उसे जल्दी ही हटाकर दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाना चाहिए या इस पर ध्यान देना चाहिए की प्रदूषण पर केसे नियंत्रण किया जा सके अन्यथा आगे आने वाले 3 से 5 वर्षो मे सूरत शहर की स्थिति उसके परिणाम भयावह होंगे जहा हर घर हर परिवार को इसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा विशेष कर मासूम बच्चे इस जहर से प्रभावित होंगे !
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