Sunday, 15 April 2018

मासूम बच्चियों पर होने वाले रेप जैसे घिनौने और वीभत्स अत्याचारों को आखिरकार कैसे रोका जाये ?


मासूम बच्चियों पर होने वाले रेप जैसे घिनौने और वीभत्स अत्याचारों को आखिरकार कैसे रोका जाये ?
पिछले कुछ दिनों से मैं अपने विचार ब्लॉग पर कुछ व्यस्तता से नहीं लिख पा रहा था मगर हमारे देश में कुछ दिनों से घटित घटना ने मुझे अपनी कलम द्वारा अपने विचार ब्लॉग के माध्यम से आप तक पहुंचाने के लिए सक्रिय किया है । हाल ही सूरत पांडेसरा की घटना के साथ देशभर में दुष्कर्म की घटना बढ़ रही है सूरत पांडेसरा में 11 वर्ष की मासूम बच्ची पर दुष्कर्म ओर हत्या ने मुझे ही नही पूरे शहर व देश को शर्मसार किया है कि आज हमारी बेटियां व बहने कितनी असुरक्षित है । 11 वर्ष की बच्ची पर दुष्कर्म करने के बाद शरीर पर 86 गहरे गाव(चोट)करके क्रूर हत्या कर दी गयी 8 दिन के बाद भी सरकार व पोलिस विभाग कोई ठोस कार्यवाही नही कर पाई । कठुआ में 8 साल की मासूम के साथ बार बार दरिंदगी करने के बाद हत्या, बिहार में 5 साल की मासूम के साथ दरिंदगी उन्नाव में विधायक पर सामूहिक बलात्कार का आरोप ... इन घटनाओं ने दिल दहला दिया .. बड़ी विडंबना है घर के आंगन के बाद बच्चो के लिए जिसे सबसे ज्यादा सुरक्षित समझे जाने वाले स्कूल , बाग बगीचे , ओर मंदिर मस्जिद भी सुरक्षित नही ओर यही स्थान उन मासूम के लिए कालस्थल बनते जा रहे है ।
हमारे देश में अपराध के पीछे के कारणों और अपराध को घटित होने से रोकने के उपायों से ज्यादा सजा पर ही जोर क्यों दिया जाता है समझ से परे है । साथ ही साथ इस समय सभी राजनीतिक पार्टियां अपना उल्लू सीधा करने के लिए सक्रिय हो जाती है आरोप प्रत्यारोप लगाना शुरु कर देती है! वास्तविकता अगर देखी जाए तो इन घटनाओं से उनका कोई संबंध नहीं होता । होता है तो सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ यह एक कड़वा सच है
रेप एक ऐसा अपराध है प्रो जो प्री प्लान या सुनियोजित नहीं होता बल्कि अचानक या अकस्मात किया जाता है कोई माने या ना माने लेकिन रेप के पीछे फिल्मों TV चैनल्स, इंटरनेट, मोबाइल, अश्लील साहित्य और सार्वजनिक स्थलों पर बढ़ती अश्लीलता बहुत बड़े कारण है इन पर हमें आम जनता को व सरकार को गंभीरता पूर्वक विचार मनन और चर्चा करने की बजाय फांसी आजीवन कारावास, बालिग नाबालिग, मनोरोगी इस पर ही चर्चा की जाती है दरअसल समाज और दुनिया में इंसानों के भेष में हैवान शैतान भी मौजूद है और ऐसे लोग जब भी फिल्मों TV चैनल्स इंटरनेट मोबाइल यु टयूब पर अश्लील फिल्में अश्लील साहित्य
या सार्वजनिक स्थलों पर अश्लीलता देखते हैं तो उनके अंदर हैवानियत व शैतानियत हावी हो जाती है और वह मौके की तलाश में लग जाते हैं जिस का शिकार ज्यादातर असहाय कमजोर लाचार लड़की महिला या बच्ची तक हो सकती है जिसका वस्त्र पहनावे से कोई लेना देना नहीं होता....
अनेक महत्वपूर्ण बातें को हम छोटी मोटी बातें समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं जैसे स्कूल-कॉलेजों व अन्य शैक्षणिक संस्थानों हॉस्टल् सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं इत्यादि में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर हो! टीचिंग और मैनेजमेंट स्टाफ के अलावा स्पोर्ट्स टीचर स्कूल बस वेन इत्यादि में कंडक्टर क्लीनर सफाई कर्मी इत्यादि अनिवार्य रूप से महिलाएं हो स्कूल कॉलेज व अन्य शैक्षणिक संस्थाओं जैसे हॉस्टल सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं इत्यादि में अनुशासनात्मक समिति का गठन अनिवार्य रूप से हो जिसमें महिलाओं की भागीदारी बराबर की हो !प्रत्येक छोटे बड़े शहर में स्लम एरिया की लिस्ट तैयार करके पुलिस चौकियां गस्त बढ़ाई जानी चाहिए रिहाइशी इलाकों से शराब की दुकानें बार इत्यादि हटाए जाने चाहिए जिस राज्य में जैसे गुजरात ,बिहार मैं शराबबंदी होने के बावजूद स्लम एरिया में सबसे ज्यादा शराब की बिक्री होती है वह शराब की बिक्री बिना पुलिस प्रशासन के मुक सहयोग के बिना असंभव है उन पर त्वरित कारवाई करके शराबबंदी लागू कराई जाए रेप एक अमानवीय एवं बर्बरतापूर्ण अपराध है इसीलिए अपराधी के प्रति किसी प्रकार की मानवीयता अथवा सहानुभूति ना बरतते हुए वह आजीवन नपुसंकता की सजा का प्रावधान किए जाने हेतु संसद में कानून बनाया जाना चाहिए रेप जैसे विभत्स अपराध की सजा केवल फांसी या आजीवन कारावास नहीं हो सकती रेपिस्ट के लिए सबसे उपयुक्त सजा आजीवन नपुसंकता है! निर्भया प्रकरण के बाद सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस दीपक वर्मा को रेप संबंधी कानून धाराओं में संशोधन एवं सजा के प्रावधानों पर जनता से राय लेकर उसकी समीक्षा करने और अपना पक्ष रखने को कहा गया देश भर से आक्रोशित लोगों ने अपनी राय दी जिनमें रेपिस्ट को सार्वजनिक रूप से बीच चौराहे पर फांसी देने जैसी सिफारिशें भी सम्मिलित थी।मगर जस्टिस वर्मा ने मानवीयता का हवाला देते हुए उन सभी राय सिफारिशों को नकार दिया और वर्तमान न्याय प्रक्रिया पर ओर उसके न्याय पर अपनी सहमति और विश्वास व्यक्त किया कुछ दोषियों की फांसी की सजा भले ही आज बरकरार रखी गई हो लेकिन निर्भया प्रकरण का सबसे वहशी दरिंदा साफ बचकर निकल गया इस बात का अफसोस देश की जनता के साथ निर्भया की आत्मा को भी जरूर होगा आज यही कारण है आए दिन रेपिस्ट के हौसले बुलंद हो रहे हैं और तेजी से रेप की घटनाएं बढ़ रही है जो हमारे देश की जनता के लिए ओर
सरकार के लिए चिंतनीय विषय है हमें और हमारी सरकार को इस पर ध्यान देना होगा की भविष्य में प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके ।
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही )
प्रधान संपादक - विद्रोही आवाज
मो - 8460783401

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